मुंबई। विप्र फाउंडेशन की ओर से आयोजित परशुराम कुंड आमंत्रण यात्रा का अमृत भारत रथ गुरुवार को मुंबई महानगर में प्रवेश कर गया। महाराष्ट्र के पर्यटन, कौशल विकास एवम उद्यमिता मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने यात्रा का स्वागत कर सिद्ध विनायक गणेश मंदिर में गणपति पूजन किया।
इस अवसर पर लोढ़ा ने कहा-भगवान परशुराम समस्त भारतीयों के लिए आदर्श और पूज्यनीय है। वे भारत की संस्कृति और सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा जिस प्रकार से अरुणाचल के परशुराम कुंड पर भगवान परशुराम की भव्य मूर्ति स्थापित हो रही है उसी से प्रेरणा लेकर महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा शीघ्र महाराष्ट्र राज्य में कोंकण में भी भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा गुरुजी ने माल्यार्पण करके लोढ़ा का स्वागत किया तथा भगवान परशुराम जी की पूजा-अर्चना करवाई। राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. सीए सुनील शर्मा ने परशुराम कुंड तीर्थ, परशुराम प्रतिमा व विप्र समाज द्वारा किए गए कार्यो की जानकारी दी। जोन 12 के प्रदेश अध्यक्ष सीए रामावतार शर्मा व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. एन श्रीमाली, मुख्य समन्वयक श्रीकिशन जोशी ने सिद्ध विनायक गणपति को आमंत्रण पत्र एवं पीले चावल अर्पित कर मूर्ति स्थापना के लिए आशीर्वाद मांगा। यात्रा के साथ चल रहे स्वामी राम नारायण, पत्रकार उमेन्द्र दाधीच, अमित गौड़, माधव शर्मा को मंदिर ट्रस्ट की और से दुपट्टा भेंट कर भगवान गणपति का आशीर्वाद प्रदान किया।
संतों का आशीर्वाद
महामंडलेश्वर विद्या नंद सरस्वती महाराज भी पधारे । उन्होंने ब्राह्मण समाज से सनातन सांस्कृति की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया।
पनवेल में अगवानी
इससे पहले यात्रा का पुणे से मुंबई प्रवेश करने पर पनवेल नवी मुंबई में यात्रा का बेंड बाजो के साथ सर्वेश्वर शर्मा, उत्तम दाधीच ने स्वागत किया। प्राचीन बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना की गई। एस. एन. श्रीमाली, सीए सुरेश पुरोहित व अधिवक्ता मनोज शर्मा भी रथ की अगवानी करने पनवेल पहुंचे।
शोभायात्रा
रथ यात्रा के मलाड़ पहुंचने पर कुंदन नगर स्थित श्री दुर्गा माता मंदिर शक्ति धाम से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में गोरे गांव की विधायक विद्या ठाकुर , महाराष्ट्र भाजपा के उपाध्यक्ष जय प्रकाश ठाकुर, नगर सेवक दीपक ठाकुर, वार्ड 50 के भाजपा अध्यक्ष अशोक गोयल सहित बड़ी संख्या में सर्व समाज के लोग मौजूद थे। रथ यात्रा बांगुर क्रीड़ा स्थल गोरेगाव पहुंच कर आमंत्रण सभा में बदल गई ।