लखनऊ: उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री और हिमाचल व राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह ने 89 साल की उम्र में SGPGI में आखिरी सांस ली। वे 48 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। 7 दिनों से वेंटीलेटर पर थे। 21 जून को उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के लखनऊ के लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद स्वास्थ्य में सुधार न होने पर 4 जुलाई को उन्हें पीजीआई शिफ्ट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व राज्यपाल कलराज मिश्र ने शोक व्यक्त किया हैं। राजस्थान में राजकीय शोक भी घोषित किया गया हैं।
I am saddened beyond words. Kalyan Singh Ji…statesman, veteran administrator, grassroots level leader and great human. He leaves behind an indelible contribution towards the development of Uttar Pradesh. Spoke to his son Shri Rajveer Singh and expressed condolences. Om Shanti. pic.twitter.com/ANOU2AJIpS
— Narendra Modi (@narendramodi) August 21, 2021
Deeply saddened by the passing away of former Governor of Rajasthan and former CM of UP, Sh. Kalyan Singh ji. My heartfelt condolences to his family members. May God give them strength in this difficult time. May the departed soul rest in peace.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 21, 2021
यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक, अंतिम संस्कार सोमवार को
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। सोमवार को अवकाश और इसी दिन उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार होगा। उन्होंने बताया कि अभी उनके शव को लखनऊ स्थित कल्याणसिंह के आवास पर ले जाया जा रहा हैं। कल आवास के बाद विधानभवन तथा बाद में भाजपा कार्यालय में श्रद्धांजलि के लिए उनकी देह को रखा जाएगा। शाम को अलीगढ़ ले जाया जाएगा। वहां एक स्टेडियम में कल्याण सिंह के अंतिम दर्शनों की व्यवस्था की गई हैं। सोमवार को उनके पैतृक गांव मढ़ौली ले जाया जाएगा और वहीं अपराह्न बाद अंतिम संस्कार होगा।
यूपी में भाजपा के पहले सीएम
कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम थे। उन्होंने पहली बार सीएम बनने के बाद मंत्रिमंडल के सीधे अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। अयोध्या में ढांचा गिराने के आरोप में आडवाणी,जोशी, साध्वी उमा भारती,ऋतम्बरा आदि के साथ कल्याण सिंह पर भी मुकदमा चला था। सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी।
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कल्याण सिंह की जीवन यात्रा
5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में में जन्में कल्याण सिंह का नाम भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार था। एक दौर में कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी।
कारसेवकों पर गोली चलाने का नहीं दिया आदेश
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने इस्तीफा सौंप दिया था,हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि यूपी के सीएम के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया।
ऐसे कुर्बान हुई कल्याणसिंह सरकार
कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया। कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा भी मिली। बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की थी।कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था। लेकिन बाद में बरी कर दिया।
कल्याणसिंह जब हाल में बीमार हुए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनसे कई बार टेलीफान पर बात की थी तथा वे बराबर परिवारजनों से हालचाल जानते रहते थे। गृहमंत्री अमित शाह,रक्षा मंत्री राजनाथसिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा उनके हालचाल जानने लखनऊ गए थे। राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने भी कई बार उनके कुशलक्षेम जानी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो बराबर पीजीआई उन्हें देखने आते रहे हैं। आज भी वे गंभीर स्थिति का पता चलने पर अस्पताल पहुंचे थे तथा इसके चलते ही गोरखपुर का अपना दौरा रद्द किया था। निधन का समाचार मिलने के बाद योगी और उनके सहयोगी मंत्रियों की टीम रात में ही पीजीआई पहुंच गई।