नई दिल्ली : चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना ने मामलों के मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है। ऐसे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में मुश्किल आती है। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती है।
CJI ने कहा कि हम देखते हैं कि किसी भी केस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है। कई बार अनुभवी जजों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाने वाली बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रही है। अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।
जजों को भी नेताओं जैसी सुरक्षा मिले
CJI रमना ने कहा कि आजकल जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। पुलिस और राजनेताओं को रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी जाती है, इसी तरह जजों को भी सुरक्षा दी जानी चाहिए। CJI ने कहा कि वे राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हालांकि, जस्टिस रमना ने कहा कि उन्हें जज बनने का मलाल नहीं है। CJI ने कहा कि वर्तमान समय की न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक फैसलों के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। जज समाजिक सच्चाइयों से आंखें नहीं मूंद सकते। सिस्टम को टालने योग्य संघर्षों और बोझ से बचाने के लिए जज को दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देनी होगी।