जयपुर : कांग्रेस पार्टी और समर्थित 11 विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियां देने का विवाद अब गर्मा गया है। सरकार ने जिन विधायकों को बोर्ड, निगम, आयोग में चेयरमैन बनाया है, उनमें महादेव सिंह खण्डेला, दीपचंद खैरिया, रफीक खान, खिलाड़ीलाल बैरवा, मेवाराम जैन, हाकम अली खान, लाखन मीणा, जोगिन्द्र सिंह अवाना, कृष्णा पूनिया, लक्ष्मण मीणा, रमीला खड़िया शामिल हैं। बीजेपी के उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने विधायकों को बोर्ड, निगम, आयोग में नियुक्ति देने को संविधान के प्रोविजन के खिलाफ बताया है।
उन्होंने कहा पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले आ चुके हैं। विधायकों की ऐसी नियुक्तियों को लाभ का पद मानते हुए अलग से मानदेय या सुविधा नहीं दी जा सकती। प्रदेश सरकार ने आर्टिकल 164 और 194 का उल्लंघन किया है। कानूनी जानकारों की राय लेकर इसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। राठौड़ ने कहा 5 सितारा होटल में 34 दिन तक ये सरकार कैद रही। उस समय असंतुष्टों को लॉलीपॉप दिए, लेकिन सरकार मंत्री पद किसी को नहीं दे पाई, इसलिए उन्हें झुनझुना पकड़ाया है। इसे वह लीगली चुनौती देंगे और सरकार को इन नेताओं को पदों से हटाना पड़ेगा। बीजेपी विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा ये सरकार अवैधानिक और असंवैधानिक काम कर रही है। अगर विधायकों की ये नियुक्तियां गैर कानूनी है, तो इसका मुद्दा भी बीजेपी उठाएगी।
बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित है राठौड़ का बयान
विधायक संयम लोढ़ा ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि विधिक परामर्श के बाद ही नियुक्तियां की गई हैं। किसी भी विधायक को मंत्री स्तर का कोई दर्जा नहीं दिया गया है। विधायक के अलावा किसी तरह का लाभ नहीं दिया गया है। राजेन्द्र राठौड़ का बयान पूरी तरह बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित है। वेतन-भत्ते और राज्यमंत्री का दर्जा दिया ही नहीं जा सकता है। पहले ही कोर्ट का निर्णय आ चुका है। ये दिखावे के पद नहीं है। विधायक होना ही अपने आप में बड़ी बात होता है। वो 3 लाख लोगों का प्रतिनिधि और राजस्थान के सर्वोच्च सदन का सदस्य है। उसे स्पेसिफिक कोई जिम्मेदारी दी गई है तो वह उसे निभाएगा। जहां तक संतुष्टि की बात है, यहां कोई पुजारी, साधु-संत नहीं हैं। राजनीतिक मौका दिया ही जाना चाहिए।
राठौड़ को झूठ बोलने की आदत : खाचरियावास
कैबिनेट मंत्री खाचरियावास ने कहा कि राजेन्द्र राठौड़ को झूठ बोलने की आदत है। बीजेपी में सतीश पूनियां, राजेन्द्र राठौड़ और गुलाबचन्द कटारिया में नेता बनने की होड़ लगी हुई है। ये नियुक्तियां ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में आती हैं या नहीं आती, वो सब हम समझते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीसरी बार के सीएम हैं। कानून कायदे की बात उन्हें नहीं समझाएं। खाचरियावास ने कहा राठौड़ में ज्यादा दम है तो नियम कायदों की बात विधानसभा सदन में टेबल करके आरोप लगाएं। सदन में साबित नहीं करेंगे तो सदस्यता जाएगी। इसलिए वो सदन के अंदर ऐसे आरोप नहीं लगा रहे। जिन विधायकों की राजनीतिक नियुक्तियां हुई हैं। उन्हें मंत्री का दर्जा, वेतन-भत्ते देंगे या नहीं देंगे, यह पावर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है।
सरकार ने तो हमें जिम्मेदारी दे दी : खण्डेला
किसान आयोग अध्यक्ष बनाए गए विधायक महादेव सिंह खण्डेला ने कहा विरोधियों के पास विरोध के अलावा और बचा ही क्या है। सरकार ने तो हमें जिम्मेदारी दे दी है। राजस्थान स्पोर्ट्स काउंसिल चेयरमैन बनने वाली कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनियां ने बीजेपी के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के आरोपों पर कहा- मैं उन चीजों में नहीं जाना चाहूंगी। बीजेपी का काम हमेशा सिर्फ आरोप लगाने का ही रहा है। मैं चाहती हूं कि मुझे जिस मकसद से चेयरमैन बनाया है, मुझे वो काम करने हैं। मैं स्पोर्ट्स पर्सन रही हूं और स्पोर्ट्स के लिए काम करना चाहती हूं। क्या बिना मंत्री का दर्जा और वेतन-भत्ते, सुविधाओं के नियुक्त होने वाले विधायक संतुष्ट रहेंगे। इस सवाल पर पूनियां ने कहा कि 3 साल पहले भी तो मेरे पास ये सब नहीं थे। उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह मानसिकता पर निर्भर करता है।

 
                         
                         
                         
                         
                         
                         
				
			 
				
			 
				
			 
				
			