भीलवाड़ा के सकरिया का खेड़ा गारनेट ब्लॉक की ई-नीलामी की तैयारी शुरु-एसीएस माइंस वीनू गुप्ता

गुरुवार को जयपुर में जुटेंगे माइंस और उद्योग से जुड़े स्टेक होल्डर्स, विशेषज्ञ, एसोसिएशन्स के प्रतिनिधि, अनुभव करेंगे साझा तो देंगे महत्वपूर्ण सुझाव-एसीएस गुप्ता प्रदेश में माइनिंग ब्लॉकों की ई-नीलामी का मिशन मोड़ पर रोडमेप तैयार, चार मेजर मिनरल ब्लॉकों की सफल नीलामी-एसीएस माइंस गुप्ता माइनिंग, ऑयल और गैस कॉन्क्लेव 18 अगस्त शुक्रवार को, वर्तमान सिनेरियों और भावी संभावनाओं पर होगा मंथन वैध खनन को बढ़ावा, अवैध खनन पर प्रभावी सख्त कार्यवाही व राजस्व बढ़ोतरी हमारा ध्येय-एसीएस वीनू गुप्ता

जयपुर। रत्न व्यवसाय में देश दुनिया में विख्यात जयपुर के लिए माइंस विभाग से एक और अच्छी खबर है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम वीनू गुप्ता ने बताया है कि राज्य के माइंस विभाग द्वारा भीलवाड़ा के सकरिया का खेड़ा में गारनेट खनिज ब्लॉक का कंपोजिट लाइसेंस जारी करने के लिए ई-नीलामी की कार्यवाही की आवश्यक औपचारिकताओं को अंतिम रुप दिया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही टोंक, अजमेर और भीलवाड़ा में गारनेट खनिज भण्डारों की उपलब्धता, गुणवत्ता और संभावित डिपोजिट के आकलन के लिए विभाग या आरएसएमईटी के माध्यम से अगले स्तर का एक्सप्लोरेशन करवाया जाएगा। गौरतलब है कि राज्य से गारनेट का एक्सपोर्ट भी किया जाता है। गारनेट के नए डिपोजिट्स के आकलन एवं खनन से प्रदेश से गारनेट के निर्यात में बढ़ोतरी होने के साथ ही विदेशी मुद्रा का अर्जन होगा।

एसीएस वीनू गुप्ता ने बताया कि भीलवाड़ा के सकरिया का खेडा गारनेट ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस के लिए ई नीलामी की अनुमति भारत सरकार से प्राप्त हो गई है। उन्होंने बताया कि अब आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा कर इस माह के अंत या जुलाई माह के पहले पखवाड़े तक ई नीलामी की कार्यवाही के लिए भारत सरकार के ई पोर्टल पर निविदा जारी कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा के सकरिया का खेडा में करीब 122.27 हैक्टेयर क्षेत्र में गारनेट के भण्डार संभावित है जिसके लिए कंपोजिट लाइसेंस के लिए ई नीलामी की जाएगी।

गुप्ता ने बताया कि प्रदेश के टोंक जिले के देवली के आसपास के क्षेत्र के साथ ही अजमेर और भीलवाड़ा में गारनेट के भण्डार के संकेत मिले हैं। आजादी के पहले से ही प्रदेश में गारनेट खनिज की संभावनाओं और खनन का छिटपुट कार्य होता रहा है। अब व्यापक सर्वेक्षण के आधार पर टोंक, अजमेर और भीलवाड़ा में गारनेट के भण्डार मिलने के बाद और एक्सप्लोरेशन कराने पर जोर दिया जा रहा है ताकि संभावित डिपोजिट का आकलन किया जा सके और इससे माइनिंग लीज के ऑक्शन में स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा और बेहतर राजस्व प्राप्त हो सके।

गुप्ता ने बताया कि कास्य युग से पहचान और पसंद रखने वाले गारनेट की मुख्य रुप से रत्न के रुप में पहचान है। दुनिया के अधिकांश देशों में गहनों के साथ ही रत्न के रुप में गारनेट की अच्छी मांग रही है। यह पारदर्शी और अपारदर्शी दोनों ही तरह का मिलता है। पारदर्शी गारनेट की रत्न व्यवसाय क्षेत्र में उसकी गुणवत्ता और कैरट के आधार पर काफी अच्छी मांग हैं वहीं रत्न के साथ साथ गारनेट का अन्य उपयोग भी कास्य युग से किया जाता रहा है। इसका कांच, कठोर रबड़, लकड़ी, आदि को पीसने, घिसने, कागज, कपड़ा, डिस्क आदि में उपयोग के साथ ही पाउडर के रुप में लेपिंग के लिए इसका उपयोग किया जाता है। मोटे रुप में समझा जाए तो सामान्य रेजमार से लेकर रत्न कारोबारियों तक गारनेट की मांग है। उन्होंने बताया कि इससे गारनेट का वैध खनन, रोजगार और राजस्व की बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही प्रदेश से गारनेट का एक्सपोर्ट बढ़ने के साथ ही विदेशी मुद्रा भी अर्जित होगी।

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