जाति प्रमाण-पत्र पर अब पटवारी की रिपोर्ट जरूरी नहीं, जयपुर कलेक्टर ने दी राहत

जाति प्रमाण-पत्र

जयपुर : जाति प्रमाण पत्र या ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए जयपुर शहर के लोगों को अब तहसील ऑफिसों में पटवारियों के यहां धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। जयपुर कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने इन सर्टिफिकेट के लिए पटवारी रिपोर्ट की अनिवार्यता काे खत्म कर दिया है। पटवारी रिपोर्ट की एवज में कई ई-मित्र संचालक आवेदक से कुछ रकम तक ले लेते थे। कलेक्टर से जारी आदेशों के बाद जयपुर शहर के हजारों लोगों को इसका फायदा मिलेगा। आदेशों में कलेक्टर ने हवाला दिया कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज एरिया में रहने वाले लोगों को जाति प्रमाण पत्र जैसे एससी, एसटी, ओबीसी, ईब्ल्यूएस, अल्पसंख्यक आदि का सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पटवारी की रिपोर्ट करवानी पड़ती है, जिसके लिए लोगों को परेशानी होती है। क्योंकि शहरी एरिया में रहने वाले अधिकांश लोगों के पास कृषि भूमि नहीं होती।

पटवारी भी अपनी रिपोर्ट कृषि भूमि के खाते की रिपोर्ट या खरीदे गए मकान की रजिस्ट्री में उल्लेख किए गए जाति के आधार पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। ग्रामीण एरिया में तो अधिकांश लोगों के पास खातेदारी की जमीन होती है, जिसका सारा रिकॉर्ड पटवारी के पास होता है। शहरों में जमीन नहीं होती और उसके बदले लोग अपने मकान या फ्लैट की रजिस्ट्री के दस्तावेज देते है। अगर किसी व्यक्ति का मकान नहीं होता तो उससे अंडरटेकिंग (शपथ पत्र) लेकर पटवारी अपनी रिपोर्ट करता है।

अब सीधे ऑनलाइन कर सकेंगे आवेदन

पटवारी की रिपोर्ट की अनिवार्यता हटाने के बाद अब आवेदक को तहसील ऑफिस या पटवार मंडल के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अभी तक लोगों को जाति प्रमाण पत्र का आवेदन पत्र भरने के बाद सांगानेर, आमेर और जयपुर उपखण्ड क्षेत्र में आने वाले तहसील और पटवार मंडल ऑफिसों में पटवारी की रिपोर्ट के लिए चक्कर काटने पड़ते है। पटवारी नहीं मिलने पर कई बार लोगों को दो या उससे ज्यादा बार ऑफिस जाना पड़ता था। इसे देखते हुए कई ई-मित्र संचालक पटवारी की रिपोर्ट करवाने की एवज में 300 से 500 रुपए तक की राशि लोगों से वसूल लेते है।

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