इंटरनेटी ज्ञान से लिखना लिखाना प्रभावित, अच्छे लेखन के प्रोत्साहन को आगे लाना प्रबुद्ध वर्ग की जिम्मेदारी-डॉ. अग्रवाल

इंटरनेटी ज्ञान से लिखना लिखाना प्रभावित, अच्छे लेखन के प्रोत्साहन को आगे लाना प्रबुद्ध वर्ग की जिम्मेदारी-डॉ. अग्रवाल

जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल का मानना है कि इंटरनेट से जहां एक और ज्ञान का विस्तार हुआ हैं वहीं इंटरनेटी सतही ज्ञान के चलते लोगों की लिखने लिखाने की आदत लगभग समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि लिखना हमारी शाश्वत परंपरा रही है इसलिए इसे बनाए रखने के लिए अच्छे लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए समाज के प्रबुद्ध वर्ग को आगे आना होगा।

डॉ. सुबोध अग्रवाल ने यह उद्गार शुक्रवार को सचिवालय में युवा लेखक यश कालरा की सद्य प्रकाशित पुस्तक ओमाना के अवलोकन के बाद व्यक्त किए। लेखक यश कालरा ने डा. अग्रवाल को पुस्तक की प्रति भेंट की और पुस्तक की पृष्ठभूमि की जानकारी दी। डॉ. अग्रवाल ने लेखन कर्म पर चर्चा करते हुए कहा कि सामाजिक आर्थिक सिनेरियों अच्छे विचार और अच्छे साहित्य की अधिक आवश्यकता हो गई है। लेखक समाज को जो कुछ गुजर रहा है उसे ही अपनी भाषा शैली में प्रस्तुत करता है।

इकोनोमिक्स में आनर्स और मार्केटिंग में बिजनेस एडमिनिस्ट्रे्ेशन मेें मास्टर्स डिग्री प्राप्त यश कालरा पेशे से व्यवसाई होने के बावजूद अंग्रेजी भाषा में लिखी पुस्तक ओमाना ने नेटवर्किंग उद्यमी रुद्र और वकील ओमाना के जीवन के इर्द गिर्द पुस्तक का ताना-बाना बुनते यह बताने का प्रयास किया है कि एक महिला किस तरह से स्वयं और आसपास की दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

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