देवस्थान के मंदिरों में ब्राह्मणों को छोड़ अन्य वर्ग के पुजारियों की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं

देवस्थान के मंदिरों में ब्राह्मणों को छोड़ अन्य वर्ग के पुजारियों की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं

जयपुर। विप्र फाउंडेशन ने राजस्थान सरकार की ओर से प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के लिए 22 पुजारी भर्ती में ब्राह्मणों के साथ अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दी नियुक्ति का पुरजोर विरोध किया है तथा कहा है कि इस तरह की भर्ती को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इन नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद्द नहीं किया गया तो इस मांग को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। विप्र फाउंडेशन ने देवस्थान विभाग में पुजारी भर्ती पर आपति दर्ज कराते हुए कहा है कि सरकार ने न केवल सदियों से चली आ रही परम्परा को तोड़ा है,बल्कि सरकार के ये प्रयास समाज को बांटने वाले है। जो कार्य मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों तक ने नहीं किया वो राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कर दिया। इतिहास में मुस्लिम शासकों के मंदिरों को तोडऩे और उनकी संपदा लूटने के अनेक उदाहरण मिल जाएंगे,लेकिन उन्होंने भी ब्राह्मणों के अतिरिक्त किसी वर्ग या समुदाय के व्यक्ति को मंदिर का पुजारी नियुक्त नहीं किया। मुस्लिम और अंग्रेजी राज के सैकड़ों उदाहरण ऐसे है जिसमें शासकों ने कितने ही हिंदू मंदिरो और मठों की देखरेख के लिए जमीन और धन दौलत दिया।

विप्र फाउंडेशन जोन-1 के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राजेश कर्नल की ओर से यहां जारी बयान में कहा गया है कि ब्राह्मण अनंतकाल से ही शिक्षा देने और मंदिरों में भगवान की सेवा-पूजा करने का कार्य करते आ रहे हैं,क्योंकि यही उनका मूल कार्य रहा हैं। जिस प्रकार मस्जिद और गिरिजाघर में सेवा और देखरेख करने का कार्य उन्हीं के धर्म के व्यक्ति कर सकते हैं,उसी प्रकार हिंदू मंदिरों में सेवा और पूजा कार्य भी विशेष प्रकृति का कार्य है जिसे मात्र ब्राह्मण ही करते आए हैं। सरकार को इन नियुक्तियों को देने से पहले कानून के साथ-साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए था कि अनेक कार्य कुछ समुदाय या जाति विशेष ही करता आ रहा हैं। हाल ही में सफाई कर्मचारी भर्ती में अन्य जातियों को शामिल करने के खिलाफ वाल्मीकि समुदाय ने हड़ताल कर दी थी और सरकार को भर्ती प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी और भर्ती में वाल्मीकि समुदाय को ही प्राथमिकता देने का लिखित समझौता करना पड़ा है।

देवस्थान के मंदिरों में ब्राह्मणों को छोड़ अन्य वर्ग के पुजारियों की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं

विप्र फाउंडेशन ने यह भी कहा हैं कि वर्तमान में देवस्थान विभाग को भंग कर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की आवश्यकता हैं, क्योंकि हिंदुओ को छोड़ किसी अन्य वर्ग संप्रदाय के धार्मिक स्थल सरकारी नियंत्रण में ही नहीं हैं। फिर हिंदुओ के धार्मिक स्थलों को संविधान के दायरे में बांधना तथा आरक्षण के आधार पर पुजारियों की नियुक्ति देना सरासर कुठाराघात हैं। राजस्थान में ये नई नींव क्यों डाली जा रही हैं। राज्य सरकार को हिंदू मंदिरों में सेवा और पूजा के लिए मात्र ब्राह्मणों को ही नियुक्त करना चाहिए।

विप्र फाउंडेशन ने अन्य ब्राह्मण एवं अन्य सामाजिक संगठनों से भी पुजारी भर्ती में अपनाई गई सरकारी नीति का एकजुटता के साथ विरोध की अपील की है और कहा कि सरकार ने इन भर्तियों को रद्द नहीं किया तो विरोध स्वरूप बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा। विप्र फाउंडेशन इस संबंध में राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन दे उनसे पुजारी पद पर सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से की गई नियुक्तियों को हस्तक्षेप कर रद्द करवाने की मांग की जायेगी।

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