जयपुर: राजस्थान में सरकारी विभाग में संविदाकर्मियों को नियमित करने को लेकर एक बार फिर संकट खड़ा हो गया है। नियमित करने की मांग कर रहे संविदाकर्मियों के लिए नियुक्ति के लिए नए नियम बनाए गए है। इसमें केवल ये संशोधन किया गया है कि नियमित करने से पहले कमेटी स्क्रीनिंग करेगी। ये नियम भी 5 साल से काम कर रहे संविदाकर्मी के लिए ही लागू होगा।
पिछले दिनों कैबिनेट ने संविदाकर्मियों की नियुक्ति के लिए नियमों को मंजूरी दी थी। कार्मिक विभाग ने संविदा नियुक्ति के नियम जारी किए हैं। इन नियमों में संविदा कर्मचारियों की भर्ती से लेकर उन्हें नौकरी से हटाने तक के प्रावधान साफ कर दिए हैं। संविदा पर केवल उन पदों पर ही भर्ती होगी जो नियमित पद नहीं हैं। सरकारी विभाग वित्त विभाग की मंजूरी के बाद अपने स्तर पर कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारी रखेंगे।
कॉन्ट्रैक्ट पर रखे कर्मचारी को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने की सैलरी देकर हटा सकेंंगे। इसके अलावा किसी प्रोजेक्ट पर संविदाकर्मी को नियुक्त किया गया है तो प्रोजेक्ट पूरा होने पर पांच महीने का वेतन देकर उसकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। ऐसे मामले में बचे हुए समय में एक साल पर एक महीने का वेतन मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।
सरकारी विभाग में किसी भी कर्मचारी को संविदा पर पांच साल से ज्यादा समय तक नहीं रख सकेंगे। संविदाकर्मियों का पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद उसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकेगा। इसके साथ ही कॉन्ट्रैक्ट अवधि खत्म होते ही नियुक्ति खत्म मानी जाएगी। संविदा नियुक्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस का आरक्षण लागू होगा। 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को संविदा पर नहीं रखा जा सकेगा। 2002 के बाद जिसके तीसरी संतान हुई, उसे भी संविदा पर नौकरी नहीं मिलेगी।
संविदा पर काम करने वालों को हर साल 5 फीसदी का इंक्रीमेंट मिलेगा। मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए 1500 रुपए, एक्सीडेंट क्लेम पॉलिसी के लिए 500 रुपए और नेशनल पेंशन स्कीम के लिए आधा पैसा सरकार देगी। संविदा कर्मचारियों को एडहोक बोनस नहीं मिलेगा।
कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र में संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। अब उसके पूरा करने की मांग की जा रही है। सरकार ने संविदाकर्मियों की समस्याओं पर कैबिनेट सब कमेटी बनाई थी। सब कमेटी की रिपोर्ट के बाद नियम बनाए हैं लेकिन पहले से काम करने वालों की मांग अब भी जस की तस है।
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