जयपुर : करतारपुरा नाले से संबंधित मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ कि न्यायाधीश सबीना एवं सीके सोनगरा की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण से संबंधित अधिकारियों को मौखिक तौर पर निर्देश दिए कि वह इस मामले में गंभीरता से कार्यवाही करें तथा शहर में जो गंदगी के जगह जगह ढेर लगे हुए हैं उन पर भी ध्यान देवें।
जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से संबंधित जोन के उपायुक्त व अन्य अधिकारी न्यायालय में उपस्थित थे। उनकी ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता ने न्यायालय को बताया कि न्यायालय के आदेश के उपरांत बरसात से पूर्व नाले से कुछ कचरा निकलवाया गया। जिसका हवाला न्यायालय ने अपने आदेश में दिया परंतु न्यायालय जयपुर विकास प्राधिकरण के जवाब से संतुष्ट नहीं था। न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी की कि यह कार्य जयपुर विकास प्राधिकरण का जनता के हितों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। याचिकाकर्ता का कोई व्यक्तिगत हित नहीं है ऐसी अवस्था में यह जनहित का मामला है। याचिकाकर्ता जो तथ्य जयपुर विकास प्राधिकरण को बता रहा है उन पर अमल करना चाहिए।
इस पर जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से न्यायालय को यह बताया कि मामला राज्य स्तर पर विचार किया जा रहा है तथा द्रव्यवती नदी की भांति इस पर भी विकास कार्य हो। ऐसी उनकी भावना है जिसमें कार्यवाही जारी है। सभी हालातों को देखते हुए न्यायालय ने मामले को अक्टूबर माह में रखते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण तथा राज्य सरकार से अपेक्षा रखी कि वे शीघ्रता शीघ्र इसमें कार्रवाई करेंगे । इस प्रकरण में याचिकाकर्ता राजेन्द प्रसाद शर्मा की ओर से विमल चौधरी एडवोकेट एवं दीनदयाल खंडेलवाल एडवोकेट ने पैरवी की।