तीन माह के बिजली बिलो की पैनल्टी-सरचार्ज माफ़ करे सरकार – राठौड़

Government to waive penalty surcharge imposed in three months electricity bills- Rathore impact voice news

जयपुर: विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कोरोना के संक्रमण काल में मार्च के दूसरे पखवाड़े के बाद ठप्प पड़ी व्यावसायिक व औद्योगिक गतिविधियों के बाद भी जयपुर, जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम द्वारा प्रदेश के 1 करोड़ 52 लाख घरेलू, अघरेलू, व्यावसायिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं को भेजे जाने वाले विद्युत बिलों में स्थायी शुल्क, विलंब शुल्क सहित अन्य सभी करों को कम से कम 3 माह अप्रैल से जून तक के लिए माफ करने की मांग की है।

राठौड़ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण प्रदेश का पर्यटन उद्योग मृत प्रायः हो गया है वहीं व्यापारिक गतिवधियां भी ”रेड अलर्ट – जन अनुशासन लॉकडाउन” के कारण बंद पड़ी है और औद्योगिक इकाइयां भी अपनी क्षमता का मात्र 25 % ही काम कर पा रही है।

राठौड़ ने कहा कि कोरोना की ऐसी विकट परिस्थिति में भी राज्य सरकार घरेलू, अघरेलू, वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं से श्रेणीवार 250 रुपये प्रतिमाह से लेकर 25000 रुपये प्रतिमाह स्थायी शुल्क वसूल रही है तथा इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट, अरबन सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट, जल संरक्षण उपकर के नाम पर 10 पैसे प्रति यूनिट, अडानी कर के नाम पर 5 पैसे प्रति यूनिट वसूलने का जनविरोधी कार्य कर रही है जिसे तत्काल प्रभाव से अप्रैल से जून यानी 3 माह के लिए माफ कर आम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की जानी चाहिए।

राठौड़ ने कहा कि अप्रैल व मई माह में दुकानें, होटल, औद्योगिक प्रतिष्ठान व कारखानों में ठप्प पड़ी गतिविधियों के कारण से बिजली का उपयोग नहीं हो रहा है। बिलों में बिजली का उपयोग नगण्य होने होने के बावजूद भी बिलों में स्थायी शुल्क लगाया जा रहा है और नियत तिथि तक भुगतान नहीं करने पर 18 % विलंब शुल्क भी जोड़ा जा रहा है।

राठौड़ ने कहा कि आज प्रदेश में लगभग 50 लाख उपभोक्ता बिजली मित्र एप या अन्य किसी ऑनलाइन सिस्टम से जुड़े हुए नहीं है और उन्हें विगत 2 माह से बिजली बिल भी नहीं मिल रहे हैं। जिसके कारण बिजली बिल जमा कराने में असमर्थ विद्ययुत उपभोक्ताओं को 18 % विलंब शुल्क के साथ बिजली के बिल भेजना वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में पहले से ही आम उपभोक्ता की डगमगाई अर्थव्यवस्था में घाव पर नमक छिड़कने के समान है।

राठौड़ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से प्रदेश में जारी रेड अलर्ट – जन अनुशासन लॉकडाउन में बंद पड़े व्यावसायिक व औद्योगिक प्रतिष्ठानों को आर्थिक संबल देने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष राहत पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार फिक्स चार्ज, विलंब शुल्क, फ्यूल सरचार्ज, इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी, अरबन सेस, अडानी कर व जल संरक्षण उपकर के नाम पर राशि वसूलने में लगी हुई है जो वर्तमान परिस्थितियों में वसूलना पूर्णतया अनुचित व अव्यावहारिक है। राज्य सरकार इन औद्योगिक व व्यावसायिक इकाइयों को संजीवनी देने की बजाय जजिया कर वसूलकर उपभोक्ता के आर्थिक संकट को बढ़ा रही है।

राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन में ठप्प पड़े औद्योगिक व व्यावसायिक गतिविधियों को आर्थिक संबल प्रदान करते हुए राहत पैकेज की घोषणा करें तथा स्थायी शुल्क, विलंब शुल्क सहित अन्य सभी करों को 3 माह अप्रैल से जून तक के लिए माफ कर आम उपभोक्ताओं को संकट की इस घड़ी में राहत दें।

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