जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य में विद्युत निरीक्षणालय की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और कारगर बनाया जाएगा। इसके लिए विभागीय विद्युत निरीक्षकों के साथ ही चार्टड विद्युत सुरक्षा अभियंताओं की जवाबदेही तय की जाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम व एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में विद्युत निरीक्षणालय की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर रहे थे। प्रदेश मेें घरेलू से लेकर औद्योगिक व अन्य विद्युत तंत्र को सुरक्षित और दुर्घटनारहित स्थापना के साथ ही निर्धारित मानकों के अनुसार लगाने की जांच कर प्रमाणिकरण की जिम्मेदारी निरीक्षणालय के विभागीय व चार्टड विद्युत सुरक्षा अभियंताओं की है। संभवतः यह पहला अवसर होगा जब इस तंत्र की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर जवाबदेही तय करने की तैयारी की जा रही है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि विद्युत जनित दुर्घटनाओं के कारण जन-धन हानि की संभावनाएं बनी रहती है। ऐसे में विभागीय व चार्टड दोनों ही तरह के विद्युत निरीक्षकों का दायित्व हो जाता है कि वे अपने कार्य के प्रति गंभीर हो और नियमानुसार विद्युत तंत्र की स्थापना, मानक उपकरणों के उपयोग और गुणवत्तापूर्ण विद्युत लाईन फिटिंग आदि सुनिश्चित कराएं। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि निरीक्षणालय में विद्युत ठेकेदारों, सुपरवाईजर और लाईनमैन के लाइसेंस जारी करने की ऑन लाईन व्यवस्था है। इसके साथ ही ईआईडी पोर्टल पर आवेदन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक व बड़ें संस्थानों में स्थापित विद्युत संस्थापनों में पुराने स्थापित विद्युत संस्थापनों की पांच वर्ष में एक बार निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही वीवीआईपी विजिट, मेला-प्रदर्शनी स्थल, सिनेमा गृहों आदि का निरीक्षण निर्धारित समयावधि में निरीक्षण कर प्रमाणपत्र जारी करना होता है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार का प्रयास है कि विद्युत निरीक्षणालय को सक्रिय कर राज्य में संभी क्षेत्रों में विद्युत जनित दुर्घटनाओं को शून्य स्तर पर लाया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।बैठक में वरिष्ठ विद्युत निरीक्षक जीएस जीनगर ने विभागीय गतिविधियों, विभागीय निरीक्षकों और चार्टर्ड विद्युत सुरक्षा अभियंताओं के कार्यक्षेत्र, कार्यगतिविधियों, उपलब्धियों व प्रगति से अवगत कराया। बैठक में ऊर्जा विभाग व निरीक्षणालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।