जयपुर। राजस्थान की राजनीति में बहुत कुछ घटने वाला हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी की विशेषदूत बनकर आई हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा की अचानक इस गोपनीय यात्रा ने राजनैतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी हैं। कई तरह के कयास व मायने लगाए जा रहे हैं। कहने को तो कुमारी शैलजा की इस यात्रा को निजी बताया जा रहा है,लेकिन ये पूर्णत:राजनैतिक यात्रा थी। जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहा मसला वेणुगोपाल तथा माकन की यात्राओं के बाद भी पूरी तरह सुलझा नहीं,इसीलिए कुमारी शैलजा को भेजा गया हैं। कुमारी शैलजा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए सोनिया गांधी का विशेष संदेश लेकर ही आई थी। तभी कुमारी शैलजा रात्रि मेंं जयपुर पहुंची और मुख्यमंत्री से मंत्रणा करने के बाद सुबह की फ्लाइट से वापस दिल्ली लौट गई।
गोपनीयता ऐसी,कार भी दिल्ली से आई थी
गोपनीयता का ही तकाजा है कि सांगानेर एयरपोर्ट से मुख्यमंत्री निवास तक जाने के लिए शैलजा की दिल्ली से निजी गाड़ी आई थी। शैलजा की ये कार आज सुबह एयरपोर्ट पर शैलजा को ड्रॉप करने के बाद यहां से वापस दिल्ली गई हैं। जहां तक निजी यात्रा का सवाल है उनके जयपुर में रहने वाले निकट कार्यकर्ताओं तक को पता नहीं था। अगर निजी यात्रा होती तो कम से कम इन कार्यकर्ताओं को सूचना अवश्य होती।
शैलजा मानी जाती हैं दस जनपथ की पारिवारिक सदस्य
पूर्व केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए सोनिया गांंधी का क्या संदेश लेकर आई थी,इसका तो पता नहीं चला,लेकिन इस यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। आपको बता दे 26 साल तक सांसद रही और 15 वर्षों तक केन्द्र में मंत्री रही शैलजा दस जनपथ के निकट यानी सोनिया गांधी के पारिवारिक सदस्य की तरह मानी जाती हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि संदेश भी महत्वपूर्ण ही होगा।
आलाकमान का विशेष ध्यान,कांग्रेस बहुमत वाले राज्यों पर
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राजस्थान में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। ये चिंता ही आलाकमान को सता रही हैं। कांग्रेस आलाकमान ने इन दिनों अपना ध्यान सबसे अधिक उन राज्यों पर केन्द्रित कर रखा हैं जहां उसकी सरकार हैं अथवा कांग्रेस मुकाबले की स्थिति में विपक्ष में हैँ। इनमें राजस्थान सबसे महत्वपूर्ण हैं।
कांग्रेस की व्यूह रचना दिल्ली को मजबूत करने की
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सार्वजनिक रूप से भले ही राजस्थान में 2023 में वापसी की बात करें,लेकिन कांग्रेस आलाकमान इस बात से भली भांती वाफिक है कि वर्तमान में जो माहौल बना हुआ है उसे देखते हुए कांग्रेस सरकार का प्रदेश में रिपीट होना बड़ा मुश्किल खेल हैं। लिहाजा कांग्रेस आलाकमान इस सोच से आगे बढ़ रही है कि प्रदेश में वापसी ना सही,लेकिन इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में ना भुगतना पड़े। मुख्य रूप से दिल्ली को मजबूत करने की रणनीति हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों को देखे तो राजस्थान सहित कांग्रेस के प्रभाव वाले प्रदेशों में निराशा ही हाथ लगी। 2014 व 2019 में हुए लोकसभा चुनाव मेंं कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। आलाकमान का सोच है कि आगामी लोकसभा चुनाव मेंं कम से कम 10 से 15 सीटों पर तो कांग्रेस जीते हीं,क्योंकि लोकसभा की सीटें बढऩे पर ही कांग्रेस दिल्ली में मजबूत हो सकती हैं।
पायलट को भागीदारी देना व्यूह रचना का ही हिस्सा
इसी व्यूह रचना को ध्यान में रखते हुए ही पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट को आलाकमान राजस्थान की सत्ता में भागीदारी देना चाहती हैं। विधानसभा की दृष्टि से देखे तो 200 सीटों में से 60 के करीब सीटों पर हार-जीत को प्रभावित करने में गुर्जर वोट निर्णायक हैं। कोई गुर्जर नेता भले ही कितना दावा करें आज की तिथि में पायलट गुर्जर वोट बैंक में सबसे भारी हैं। लोकसभा में भी इसका लाभ मिलना स्वभाविक हैं। इसीलिए आलाकमान पायलट के मामले को ज्यादा लटकाना नहीं चाहती। ज्योतिराज सिंंधिया व जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ जाने का दंश पहले ही पार्टी झेल रही है। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की विशेषदूत कुमारी शैलजा की यात्रा को इसी संदेश से जोड़कर देखा जा रहा हैं,क्योंकि 5 अगस्त से सोनिया गांधी का विदेश दौरा भी प्रस्तावित हैं।