अजब सियासत की ग़ज़ब कहानी – पूनियां

जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां के वायरल हुए 22 साल पुराने पत्र मीडिया में आ जाने के बाद विरोधी इसे हथियार के रूप में काम लेने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ पूनियां ने इसे अजब सियासत की ग़ज़ब कहानी करार दिया है और कहा है कि तब भी कार्यकर्ताओं के साथ था, अब भी साधारण कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधि हूं। इन्हीं शब्दों के साथ पूनियां ने ट्वीट भी किया हैं।

दूसरी तरफ हाल में अनुशासनात्मक कार्रवाई के नोटिस के कारण पहले से भड़के बैठे पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार शर्मा को मौका मिल गया। उन्होंने भी वीडियो जारी कर कहा कि जो खुद अनुशासित नहीं वो क्या अनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे। शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक हैं और माना जा रहा है कि ये उनके खेमे से ही लेटर बम वार किया गया है।

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने चुनावों में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर 1999 में भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और इस्तीफे के रूप में तीन पृष्ठों का पत्र लिखा था तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष गुलाब चंद कटारिया को। पूनियां ने 22 साल पहले लिखे पत्र को स्वीकारते हुए विरोधियों को उन्ही की भाषा मे उत्तर देते हुए कहा हैं कि पार्टी के मंच पर कही गई बात के बाद ही नेतृत्व ने मुझे पार्टी में महत्वपूर्ण दायित्व दिए जिनका मैंने निष्ठापूर्वक निर्वहन किया।

सतीश पूनिया की प्रतिक्रिया में ही लेटर बम विवाद की झलक मिल जाती है। पूनिया ने इसे अजब सियासत की गजब कहानी बताकर विरोधियों को निशाने पर लिया है। दूसरी तरफ आम कार्यकर्ता का प्रतिनिधि बताकर बड़े नेताओं की सियासी चालों की तरफ इशारा किया है। बीजेपी में इस लेटर बम की गूंज कई दिन तक सुनाई देना तय माना जा रहा है। पूनियां ने साधारण कार्यकर्ता बताकर पार्टी के कैडर की सहानुभूति जीतने का प्रयास किया है।

पूनियां के ट्वीट पर यूजर्स की प्रतिक्रिया भी मजेदार आई हैं। एक यूजर्स ने लिखा— यह आपके आसपास बैठने वालों की चाल हैं। सतीश पूनिया के ट्वीट पर यूजर्स ने कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई यूजर्स ने इसे विरोधियों की चाल बताया है।

राजस्थानी में किए एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि— वाह पूनिया जी, सत्य स्वीकारने की हिम्मत तो है आप में वरना दूसरे नेता तो इसे अब तक फर्जी, फेक या एडिटेड बता देते।

पूर्व मंत्री रोहिताश्व ने अपने वीडियो में कहा कि जो खुद व्यक्ति अनुशासनहीनता कर चुका हो, अनुशासन की पराकाष्टा क्रॉस कर चुका हो वो दूसरों को अनुशासन की क्या सलाह दे सकता हैं। बड़े खेद की बात है।

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