इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 4 साल के बच्चे ने घर ना जाने और पुलिस थाने में रहने की जिद पकड़ ली। दरअसल, बच्चा घर से निकलकर रास्ता भटक गया था। घर का पता पूछने के लिए पुलिस वालों को पहले उससे दोस्ती करनी पड़ी। दोस्ती भी थाने में पोहा खिलाकर हुई। बच्चे को पुलिस वालों के साथ पोहा खाने में इतना मजा आया कि घर मिलने के बावजूद उसने जिद पकड़ ली कि उसे घर नहीं जाना, बल्कि थाने में ही रहना है।
हुआ यूँ कि इंदौर के विजय नगर इलाके में एक राहगीर को शनिवार सुबह 6 बजे बच्चा रोता हुआ मिला था। उसने पुलिस की पीसीआर को सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने बच्चे से उसके घर का पता पूछा, लेकिन बच्चा इतना ज्यादा घबराया हुआ था कि कुछ बता नहीं पाया। पुलिस बच्चे का घर ढूंढने के लिए 5 से ज्यादा थाना क्षेत्रों में उसे लेकर घूमती रही। जब बच्चे का घर नहीं मिला, तो पुलिस ने बच्चे को विजय नगर थाने लाकर उससे दोस्ती की। उसे नाश्ते में पोहा-जलेबी खिलाया, तब जाकर उसने अपना नाम और पता बताया। लेकिन इसके बाद एक बड़ी दिक्कत सामने आई। दरअसल, पोहा खाने के बाद बच्चा घर नहीं जाना चाह रहा था। किसी तरह मनाकर उसे घर भेजा गया।
पुलिस से घुल-मिल गया बच्चा
SP आशुतोष बागरी ने बताया, ‘विजय नगर पुलिस को सुबह 6 बजे राहगीर ने सूचना दी कि एक बच्चा सड़क किनारे रो रहा है। सूचना मिलते ही विजय नगर थाने की PCR मौके पर पहुंची। बच्चे को विजयनगर थाने लाया गया। जवानों ने उसे नाश्ता कराकर उससे दोस्ती की। फिर उससे जानकारी निकालना शुरू की। PCR जवान कस्तूर मीणा व पायलट राजा ने बताया कि जिस वक्त बच्चे को गाड़ी में बैठाया, तब वह घबराया और डरा हुआ था। उससे दोस्ती की तो बच्चे ने अपना नाम आदी डाबोरे बताया। धीरे-धीरे वह हमारे साथ घुल-मिल गया।’
बुआ दीपा और पिता के साथ रहता है बच्चा
आर्य के पिता गोलू डाबोरे प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। वे सुबह जल्दी नौकरी के लिए घर से निकले थे। जैसे ही वे घर से निकले, तभी बच्चा दरवाजा खुला देख पिता के पीछे लग गया। पिता को इसकी जानकारी नहीं थी। कुछ आगे जाकर वह रास्ता भटक गया और सड़क किनारे जाकर रोने लगा। बच्चे की मां नहीं है। वह अपनी बुआ दीपा और पिता के साथ रहता है।
शहर में चलाए जा रहे अभियान का असर
SP ने बताया कि शहर में ‘जागरूक नागरिक’ अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत नागरिकों से किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या घटना की जानकारी नजदीकी पुलिस स्टेशन को देने की अपील की जा रही है। इसके साथ ही थाना प्रभारियों और बीट प्रभारियों के नंबर भी नागरिकों को दिए जा रहे हैं। इसी मुहिम का असर है कि बच्चा अपने परिवार के पास सुरक्षित पहुंच गया।