सीकर/पुणे। बजाज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के सुपौत्र राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन हो गया। वे पिछले कई सालों से कैंसर से जूझ रहे थे। वे मूलतः राजस्थान में सीकर जिले के काशी का बास के रहने वाले थे। उनका जन्म 10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था। बजाज और नेहरू परिवार में तीन जनरेशन से फैमिली फ्रैंडशिप चली आ रही थी। राहुल के पिता कमलनयन और इंदिरा गांधी कुछ समय एक ही स्कूल में पढ़े थे।
दिग्गज उद्योगपति राहुल बजाज ने पिछले साल 29 अप्रैल को बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए यह पद छोड़ा था। वह 1972 से इस पद पर थे। तब राहुल बजाज को कंपनी के चेयरमैन एमिरेट्स की भूमिका दी गई थी। बजाज ऑटो के बोर्ड में डायरेक्टर नीरज बजाज कंपनी के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाए गए थे।
My heartfelt condolences on demise of noted industrialist, former chairman of Bajaj Group Padma Bhushan Sh. Rahul Bajaj. He made a rich contribution towards the industrial growth of the country. May his family members find strength to bear this loss. May his soul rest in peace.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 12, 2022
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दिए नोटिस में कहा था कि राहुल बजाज ने पिछले 5 दशकों में कंपनी और ग्रुप की सफलता में भारी योगदान दिया है। इसे देखते हुए कंपनी ने उन्हें 1 मई 2021 से 5 साल के लिए चेयरमैन एमिरेट्स बनाने का फैसला किया है।
1965 में संभाला था बजाज ग्रुप का जिम्मा
राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी। उनकी अगुआई में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह स्कूटर बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई। 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी। तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई।
गैरेज शेड में बनाया था पहला बजाज स्कूटर
देश के नंबर टू दो पहिया ब्रांड बजाज की जड़ें स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई हैं। जमनालाल बजाज (1889-1942) अपने युग के यशस्वी उद्योगपति थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था। आजादी की लड़ाई के दौरान वे महात्मा गांधी के ‘भामाशाह’ थे। 1926 में उन्होंने ट्रेडिंग करने के लिए उन्हें गोद लेनेवाले सेठ बछराज के नाम से एक फर्म बनाई बछराज एंड कंपनी। 1942 में 53 वर्ष की उम्र में उनके निधन के बाद उनके दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो पुत्रों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कारपोरेशन की स्थापना की।
1948 में इस कंपनी ने आयातित कॉम्पोनेंट्स से असेम्बल्ड टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर लाॉन्च किए थे। पहला बजाज वेस्पा स्कूटर गुड़गांव के एक गैरेज शेड में बना था। इसके बाद बछराज ट्रेडिंग कारपोरेशन ने कुर्ला में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया, जो बाद में आकुरडी में शिफ्ट किया गया। यहां फिरोदियाज की भागीदारी में बजाज परिवार ने टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर वाहन बनाने के लिए अलग अलग प्लांट्स लगाए। 1960 में कंपनी का नामकरण हुआ बजाज ऑटो।