आरटीआई कार्यकर्ताओ के संरक्षण की मांग उठी संसद में, सांसद बेनीवाल बोले सरकार बनाये प्रभावशाली कानून

बेनीवाल

नई दिल्ली : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक तथा नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में आरटीआई कार्यकर्ताओ के संरक्षण की मांग उठाई। सांसद बेनीवाल ने कहा कि देश की संसद ने शासन- प्रशासन की जवाबदेही पारदर्शिता और आम जन को शासन- प्रशासन से जुडी तमाम जानकारी सुलभ रूप से उपलब्ध हो सके, इसके लिए सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू किया। परन्तु आज देश में आरटीआई कार्यकर्ताओ पर हमलो की घटनाये सामने आती है उससे यह लगता है की सदन को उनकी सुरक्षा को लेकर भी पुख्ता प्रावधान देश में लागू करवाने की जरुरत है। सांसद बेनीवाल ने राजस्थान के बाड़मेर जिले के गिड़ा थाना में 22 दिसम्बर 2021 को दर्ज FIR 270 /2021 की तरफ सरकार का आकर्षित करते हुए कहा कि आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम गोदारा का अपहरण करके उस पर किये गए जानलेवा हमला किया गया व उसके साथ बेरहमी से पिटाई की गई। पेरो में किले गाढ़ दी गई और जगह- जगह से उसकी हड्डियों को तोड़ दिया गया और यह सब उसके साथ इसलिए किया गया कि उसने पंचायतो से जुड़े जानकारी सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांग ली।

सांसद बेनीवाल ने कहा कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए वहां की सरकार और पुलिस को तत्काल हमले के साजिशकर्ताओं और सभी आरोपियों की गिरफ्तार करने की जरुरत थी। मगर आज तक साजिशकर्ता और मुख्य हमलावर पुलिस की गिरफ्त से दूर है और प्रथम दृष्टया जब यह घटना हुई तब वहां के पुलिस थाने के जिम्मेदारों की भूमिका भी संदिग्ध थी। क्योंकि हमलावर और साजिशकर्ताओं की थाना अधिकारी सहित अन्य स्टाफ के साथ निकटता जग जाहिर थी। इसलिए पुलिस ने कोई सख्त कदम नहीं उठाये। सांसद बेनीवाल ने कहा कि केवल बाड़मेर जिले की बात करू तो 10 आरटीआई कार्यकर्ताओ को धमकिया देने, उन पर हमले सहित अन्य मामले भी वहां के थानों में दर्ज है। जो यह इंगित करते है की पुलिस आरटीआई कार्यकर्ताओ की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।

सांसद बेनीवाल ने कहा कि अमराराम गोदारा अपने बुजुर्ग पिता, पत्नी तथा छोटे बच्चो के साथ जयपुर में न्याय की गुहार लगाकर एक सप्ताह से भी अधिक समय से पुलिस आयुक्तालय जयपुर के सामने शहीद स्मारक पर धरने पर बैठा है। उसके बावजूद सरकार और पुलिस गंभीर नहीं है। सांसद बेनीवाल ने कहा कि देश की संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया और उसके संरक्षण के लिए भी केंद्र को हस्तक्षेप करने की जरुरत है। अन्यथा दबंगो द्वारा मिलीभगत से इस तरह हमले होते रहेंगे और खौफ के साये में फिर इस अधिकार का, इस कानून का कोई उपयोग नहीं करेगा। इसलिए सरकार अमराराम गोदारा पर हुए जानलेवा हमले के मामले में राजस्थान सरकार को निर्देशित करने की जरूरत है। ताकि अमराराम को न्याय मिल सके, उन्होंने सदन में मामले में संलिप्त साजिशकर्ताओं के नामो का भी उल्लेख करते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग उठाई।

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