भारत शांति एवं लोकतंत्र का समर्थक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र- तिवाड़ी

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नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने गुरुवार को मोरक्को में चल रहे तीन दिवसीय संसदीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने भारत को शांति और लोकतंत्र का कट्टर समर्थक बताते हुए कहा कि भारत की भूमि को दुनिया के कई धर्मों जैसे हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म की जननी बताया और भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के सम्बंध में बताया।

तिवाड़ी ने भारत के संविधान के बारे में बताया कि यह संविधान व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा और बिना किसी रुकावट के धर्मों को अपनाने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जो कि राष्ट्र की धर्मनिरपेक्षता की विशेषता है। तिवाड़ी ने बताया भारतीय संविधान में सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, पारसी और जैन को अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विशेष सहायता मुहैय्या करायी जाती है। तिवाड़ी ने बताया कि हमने हज कमेटी अधिनियम 2002 बनाया, जो हज यात्रा के मुद्दों को देखती है। यह एक सबसे बड़ी विदेशी गतिविधि है, जिसमें भारत सरकार द्वारा वर्तमान में 2 लाख यात्रियों की संख्या तक बढ़ाया जा चुका है, जिसके तहत यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती है।

तिवाड़ी ने कहा भारत “वसुधैव कूटुम्बकम” के विचार का समर्थन करता है, जिसका अर्थ है, सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है और इसी के तहत पूरी दुनिया को कोविड-19 से बचाने के लिए वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत भारत ने लगभग 150 देशों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी। हमारे देश में G-20 समिट हो रहा है, जिसका मोटो है- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य, जो एक समावेशी नई वैश्विक व्यवस्था के भारत के विश्व दृष्टिकोण को दर्शाता है। भारत एक शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण देश है जो धर्म और अहिंसा के मूल्यों को कायम रखता है। भारत में, हम सभी सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से भारतीयों की पहचान करते हैं, और यह हम सभी को एक साथ बांधता है।

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