जयपुर : राज्य में बदहाल पड़ी होटल इंडस्ट्रीज को बूस्टअप करने के लिए गहलोत सरकार एक नया कॉन्सेप्ट लेकर आ रही है। इसके तहत होटल की खाली पड़ी जमीन जिसका होटल व्यवसायी उपयोग नहीं ले रहे, उस पर मल्टीस्टोरी फ्लैट्स बनाकर बेच सकेंगे, ताकि होटल संचालक अपने घाटे और इन्वेस्टमेंट की रकम को रिकवर कर सकें। इसके लिए बिल्डिंग बायलॉज में प्रोविजन किया जाएगा। होटल हाउसिंग का ये नया कॉन्सेप्ट नए प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ पुराने प्रोजेक्ट्स पर भी लागू हो सकता है। ऐसे में जयपुर, अजमेर, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर समेत प्रमुख शहरों में बने बड़े होटल्स के आस-पास बड़े मल्टीस्टोरी लग्जरी फ्लैट्स बन सकते है।
राज्य में इस तरह के कॉन्सेप्ट को लागू करने के लिए नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। बिल्डिंग बायलॉज के तहत गठित एक कमेटी ने इसके लिए धारीवाल से सिफारिश की थी।
बायलॉज के प्रोविजन के अनुसार ही मिलेगी अप्रूवल
टाउन प्लानिंग से जुड़े एक्सपर्ट्स की माने तो अभी इसके नियम-कायदे लागू नहीं हुए है। लेकिन इतना तय है कि मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज में जो प्रोविजन हाउसिंग यूनिट्स के लिए तय है उसके अनुसार ही अप्रूवल दी जाएगी। रियायत के लिए नियमों में छोटे-मोटे संशोधन किया जा सकते है। जैसे पुराने होटल में जो एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) निर्धारित है, उसमें थोड़ा रिलेक्सेशन दिया जा सकता है।
रेरा में करवाना होगा रजिस्टर्ड
होटल के साथ अगर कोई रेजीडेंशियल यूनिट्स बनाता है तो उसे डवलपर्स को पहले आवासीय हिस्से वाले प्रोजेक्ट्स को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में रजिस्टर्ड करवाना होगा। रेरा में रजिस्टर्ड के बाद ही आवासीय यूनिट्स को बेचे जाने का प्रावधान है।
