जयपुर: राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद लखनऊ में निधन हो गया। सक्रिय राजनीति में फायर ब्रांड राजनेता रहे कल्याण सिंह ने सितंबर 2014 में जब राजस्थान के राज्यपाल का पद संभाला तो पहले ही दिन उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ब्रिटिश राज से चली आ रही परंपरा को बंद करवाने का ऐलान कर दिया। कल्याण सिंह ने राज्यपाल को महामहिम की जगह माननीय संबोधित करने के आदेश दिए। राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि महामहिम शब्द में औपनिवेशिक बू आती है, हम स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं, इसलिए राज्यपाल के लिए महामहिम का संबोधन नहीं किया जाए। माननीय या दूसरा सम्मानजनक शब्द ही ठीक हैं।
कई साल से अटकी डिग्रियां बंटवाईं
कल्याण सिंह ने राज्यपाल रहते हुए उच्च शिक्षा पर खास फोकस किया। विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते उन्होंने पद संभालते ही कुलपति समन्वय समिति की बैठक बुलाकर साफ कह दिया था कि समय पर रिजल्ट जारी हों। विश्वविद्यालयों में हर साल तय टाइम टेबल के हिसाब से दीक्षांत समारोह आयोजित करके स्टूडेंट्स को डिग्री देने पर जोर दिया। कल्याण सिंह के कार्यकाल में राजस्थान यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश के कई सरकारी विश्वविद्यालयों में कई साल से लंबित चल रही डिग्रियों को दीक्षांत समारोह आयोति करवाकर बंटवाया गया। हर साल दीक्षांत समारोह आयोजित करने की परंपरा को फिर से शुरू करवाने का श्रेय कल्याण सिंह को जाता है।
यूनिवर्सिटी को गांव गोद देने की परंपरा
कल्याण सिंह ने हर यूनिवर्सिटी को एक गांव गोद लेकर वहां के विकास का जिम्मा दिया। यूनिवर्सिटी के गोद लिए गांवों में हुए कामों की खुद मॉनिटरिंग करते थे। कई गांवों में वे तो वे खुद गए। यूनिवर्सिटीज को गांव गोद देने के पीछे स्टूडेंट्स को ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए संवेदनशील बनाने की सोच थी। कल्याण सिंह के निधन पर राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित प्रदेश के कई नेताओं ने शोक जताया है। 4 सितंबर 2014 से सितंबर 2019 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह को उनके सुधारों के लिए याद रखा जाएगा।