BVG घूसकांड की कथित सीडी: ये खेला खेलने वालों के ही जी का जंजाल बना

BVG घूसकांड की कथित सीडी ये खेला, खेलने वालों के ही जी का जंजाल बना

जयपुर। सीडी को लेकर ऐसा खेला हो जाएगा यह जयपुर ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर को नापने और उसके बहाने भाजपा प्रदेश नेतृत्व को लपेटने के चक्कर में सीडी बाजार में लेकर आने वालों ने सोचा भी नहीं होगा। उन्हें ये भी पता नहीं था कि बाजार में आई सीडी उन्हीं के लिए जी का जंजाल बन जाएगी। उन्हें यह भी अंदाज नहीं था कि इस सीडी के आने से RSS के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम भी नप जाएंगे। यह खेला भाजपा के उन नेताओं पर ही भारी पड़ गया जो इसके मुख्य सूत्रधार थे। अब वे भी बचाव में वैसे ही सूर अलाप रहे है जो पार्टी के अन्य नेता बोल रहे हैं। निम्बाराम की गिरपïतारी हुई तो भाजपा में न केवल भूचाल आ जाएगा,बल्कि इस प्रकरण में कई नामी नेता निपट सकते हैं।

सीडी भाजपा के अंदरूनी कलह की देन

भाजपा की अंदरूनी कलह की देन थी यह सीडी। सौम्या गुर्जर के खिलाफ जिस रात निलम्बन की कार्रवाई की गई उसी रात्रि में इसी सीडी को यह कहकर जारी किया गया था कि केवल निगम आयुक्त से धक्का-मुक्की तक ही मामला नहीं हैं। ये साबित करने की कोशिश की गई थी कि सौम्या गुर्जर के पति राजाराम किस तरह दलाली में लगे हुए हैं। इस मामले में उनका इरादा सौम्या के बहाने प्रदेश नेतृत्व को भी लपेटना था कि किस तरह से गलत चयन किया गया। इस खेल में उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिल गई। सौम्या के स्थान पर शील धाबाई को महापौर बना भी ले गए।

सीडी बाजार में लाने वालों को भी पता नहीं था कि ये सीडी हथियार बन जाएगी

BVG घूसकांड की कथित सीडी के रचियताओं को ये भी अंदाजा नहीं था कि उनके इस खेले में सीडी को सरकार (ACB)हथियार बना लेगी। जैसे ही इस सीडी को लेकर ACB ने केस दर्ज कर कार्रवाई की तथा FIR में राजाराम, बीवीजी के प्रतिनिधियों के साथ संघ प्रचारक निम्बाराम का नाम जोड़ा तो विरोधियों के हाथ पांव फूल गए। सीडी से ज्यादा अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताने लगी हैं, क्योंकि भाजपा में रहकर RSS की ताकत से हर कोई वाफिक हैं। दूसरी तरफ संभवत: निम्बाराम को भी पता नहीं था कि राजनैतिक पैंतरेबाजी के इस खेल में वे भी शिकार हो जाएंगे।

ये सीडी कहां और कब बनी 

उच्च विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार ये सीडी सहकार मार्ग स्थित सेवा भारती कार्यालय में बनी थी। सीडी में जो वार्तालाप है उसमें BVG के प्रतिनिधि से सीएसआर के तहत श्रीरामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण या वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप स्मारक समिति के उदयपुर स्थित प्रताप गौरव केन्द्र के लिए राशि देने का जिक्र हुआ बताया। ये घटनाक्रम 20 अप्रैल का बताया जा रहा है, जब वे यहां टीका लगवाने आए थे तभी महापौर के पति राजाराम के मौजूदगी में BVG के प्रतिनिधि मिलने आए थे। सूत्रो के अनुसार राजाराम को रिकॉर्ड करने के चक्कर में वहां निम्बाराम भी लपेटे में आ गए।

डोटासरा के बयान से हरकत में आए भाजपा के खेमे

सूत्रों ने बताया कि सीडी जिस दिन जारी हुई थी उस दिन सीडी को लेकर खण्डन मंडन के समय भी भाजपा के दोनों ही धड़ों ने ये नहीं सोचा था कि इस सीडी का मसला यहां तक पहुंच जाएगा। एसीबी की ओर से मुकदमा दर्ज कर लिए जाने तथा उसमें निम्बाराम को भी आरोपी बनाने का जब कूटरचियताओं को पता चला तो उनके नीचे से भी धरती खिसक गई।
रहे सहे में प्रदेश कांग्रेस के मुखिया गोविंन्द सिंह डोटासरा ने अपनी ही सरकार से निम्बाराम की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग करके इस मुद्दे को और गरमा दिया। डोटासरा की प्रेस कांफ्रेंस के बाद न केवल भाजपा की अधिकृत प्रेस कांफ्रेंस हुई,बल्कि कई भाजपा नेताओं के निम्बाराम के पक्ष में यह कहते हुए बयान आए कि इस मसले में राष्ट्रवादी संगठन को बदनाम करने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यूं हुआ ये खेल

सूत्रों की माने तो भाजपा की इस अंदरूनी राजनीति और इस प्रकरण से जुड़े जो नाम चर्चाओं में है उनमें दो से तीन विधायक व कुछ पूर्व पदाधिकारी हैं,क्योंकि मीडिया तक इस सीडी को पहुंचाने में उन्हीं भाजपा नेताओं की भूमिका थी। बताते है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां का 22 साल पुराना इस्तीफा मीडिया में वायरल करना भी इसी आपसी कलह में चल रही शह और मात की राजनीति का एक हिस्सा था। ACB निम्बाराम के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है उसी पर ये सारा मामला टिका हुआ हैंं। निम्बाराम की गिरफ्तारी हुई तो भाजपा की अंदरूनी राजनीति में भूचाल आना तय हैं।

संघ आया सामने और कहा- सीएसआर का प्रस्ताव लेकर आए थे बीवीजी प्रतिनिधि

इस बीच निम्बाराम के मामले में RSS का भी आज अधिकृत बयान आ गया। संघ के क्षेत्र कार्यवाह हनुमानसिंह राठौड़ ने जो वीडियों जारी किया है उसमें कहा गया है कि बीवीजी के प्रतिनिधि निम्बाराम जी के पास उदयपुर में स्थित प्रताप गौरव केन्द्र अपने सीएसआर फंड द्वारा सहयोग करने का प्रस्ताव लेकर आए थे। निम्बाराम जी ने उनसे आग्रह किया था कि वे पहले केंद्र का दौरा कर ले और वहां की आवश्यकता के अनुसार देख लें की क्या किया जा सकता है। इसका महत्व इसे देखने के बाद ही समझ में आता है कि देश का गौरव बढ़ाने के लिए कितनी बड़ी परियोजना पर समाजबंधुओं के सहयोग से काम कर रहे हैं।

जब लेनदेन ही नहीं हुआ तो भ्रष्टाचार काहें का

कंपनी के प्रतिनिधियों ने दौरे की तिथि तय की लेकिन वहां पर गए ही नही अत: सीएसआर फंड से किसी राशि या अन्य किसी भी रूप में सहायता का सवाल ही नहीं उठता। 20 अप्रेल को निम्बाराम जी से कंपनी के प्रतिनिधियों की भेंट या बातचीत सामान्य शिष्टाचार के नाते हुई। उनकी सामान्य शिष्टाचार भेंट को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में उनकी भूमिका से जोडऩा निदंनीय है। राजनीतिक कारणों से इस भेंट के अन्य अर्थ लगाए जा रहे है जो तथ्यों से विपरित है और सिर्फ सनसनी फैलाने के उद्देश्य से ये सब किया जा रहा हैं।

कानून का सामना करने को निम्बराम तैयार

कानून की पालना करने वाले निम्बाराम हर प्रकार की जांच में सहयोग करने को तैयार है। जब इसमें लेनदेन हुआ ही नहीं तो भ्रष्टाचार का आरोप लगाना समाज में किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के चरित्र हनन के समान हैं। वीडियों में कानूनी कार्रवाई के सभी विकल्प खुले होने की चेतावनी भी साफ शब्दों में दी गई हैं।

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