अभिषेक के उपन्यास द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ पर वृत फिल्म, टीवी और वेब सीरीयल बनाने का प्रस्ताव

अभिषेक के उपन्यास द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ पर वृत फिल्म, टीवी और वेब सीरीयल बनाने का प्रस्ताव

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित प्रवासी भारतीय अभिषेक भट्ट के क्रिकेट, संगीत,सिनेमा और राजनीति पर केंद्रित चर्चित उपन्यास ‘द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ पर एक वृत फिल्म, टीवी और वेब सीरीयल बनाने का प्रस्ताव है। यह जानकारी उत्तरी अमेरिका के प्रमुख टेलीविजन चेनल एशिया टीवी पर अपने एक लाइव साक्षात्कार में स्वयं अभिषेक भट्ट ने दी। यह टीवी चेनल अमरीका में मुख्य रूप से एशियाई समुदाय को कवर करता है।

अभिषेक भट्ट का उपन्यास राजा-महाराजाओं की धरती माने जाने वाले राजस्थान और भारत की वाणिज्यिक राजधानी (कॉमर्शियल केपिटल) मुंबई की पृष्टभूमि में भारत की आजादी के बाद घटित सच्ची घटनाओं पर लिखी गई एक फ़िक्शन कहानी है जोकि क्रिकेट, संगीत, सिनेमा और राजनीति पर केंद्रित है। उपन्यास में उल्लेखित सभी स्थान, नाम और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक हैं।

टीवी ऐंकर ने अभिषेक के उपन्यास की पाठकों और कई नामचीन लोगों द्वारा की गई सराहना की चर्चा करते हुए उनसे कई सवाल किए और अभिषेक से अपने अनुभव श्रोताओं के साथ सांझा करने की गुज़ारिश की।
उन्होंने उपन्यास को लिखने की अवधारणा, प्रेरणा,पटकथा,लेखन शैली आदि के साथ-साथ इस पर बनने वाली भावी फ़िल्म उसकी पटकथा और संगीत एवं पात्रों तथा फ़िल्म अभिनेता एवं अभिनेत्री आदि के सम्बन्ध में भी अनेक प्रश्न पूछें जिसका अभिषेक ने बेबाकी के साथ और संतोषपूर्वक तरीके से जवाब दिए।

अभिषेक ने बताया कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी और आत्म सन्तोष है कि आम पाठकों के साथ ही कई विख्यात हस्तियों को भी यह उपन्यास पसन्द आया है और उन्होंने उपन्यास की कहानी को क्रिकेट,संगीत,सिनेमा और राजनीति का कॉकटेल (समिश्रण) होने की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड विजेता सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक हंसल मेहता का यह कहना कि “उपन्यास की, कालातीत प्रेम कहानी इतनी मधुर है कि इसे एक बार पढ़ने के बाद इसके गूढ़ रहस्य,मर्म और प्रतिध्वनि को महसूस किया जा सकता  है।” मेरे लिए किसी बड़े उपहार से कम नहीं है।मेहता बचपन से ही मेरे आदर्श और पसंदीदा फिल्म निर्देशक है।

उन्होंने बताया कि मेरे प्रतिनिधि दिल्ली स्थित अनीश चांडी ने प्रसिद्ध निर्माता सुनील बोहरा को उपन्यास के अधिकार बेचे, जिन्होंने कहानी की क्षमता को देखा और परखा । इसके बाद उन्होंने हंसल मेहता को इसका कलेवर दिखाया जिन्हें यह किताब बहुत पसंद आई। इसी प्रकार हार्पर कॉलिन्स की वरिष्ठ कमीशनिंग एडिटर दफ्तुअर का यह कहना कि भट्ट के गतिशील विचारों को आगे बढ़ाने वाली इस किताब को लेकर हम बहुत रोमांचित हैं। यह उपन्यास अपने केंद्र में दो ऐसे बहुत मजबूत किरदारों और भावुक लोगों के सम्बन्धों को अपने साथ जोड़ता है लेकिन अंततोगत्वा यथार्थ में यह दिल तोड़ने वाली एक मार्मिक कहानी बन जाती है। वे कहती है कि “निश्चित रूप से इतिहास,रोमांस, क्रिकेट और भारतीय सिनेमा से प्यार करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह उपन्यास एक शानदार दावत की तरह उपहार स्वरूप है !”

लेखक अभिषेक भट्ट ने इंटर्व्यू में कहा कि अपना अधिकांश वयस्क जीवन भारत के बाहर सिंगापुर और अमरीका आदि देशों में बिताने के बाद, मैं भारत के समृद्ध इतिहास और इसके अति सुन्दर और आकर्षक चित्रपट (टेपेस्ट्री) से बहुत गहराई से प्रभावित हुआ और भारत की जिन समृद्ध धरोहरों और अनुभवों को मैंने देश से बाहर रहने से खोया था उन सभी से इस किताब के माध्यम से पुनःजुड़ने का यह मेरा तरीका है। उन्होंने कहा कि एक नए राष्ट्र के रूप में भारत की शुरुआत को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने का  इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है?सच्ची घटनाओं से प्रेरित, यह पुस्तक इतिहास में असाधारण समय से गुजरने वाले साधारण पात्रों की कहानी कहती है। उम्मीद है कि इसे पढ़ने वाले सुधी पाठक इसके पात्रों के चरित्र और मानवता के गुणों की पहचान करेंगे और खुद को भी गहराई से इस रास्ते में पायेंगे।

साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि भारत में बोलीवुड,मुंबई के कतिपय फिल्म निर्माता-निर्देशक इस उपन्यास के लीगल राइट्स ख़रीद कर इसकी कहानी पर एक फिल्म बनाने की योजना बना रहे हैं।मेरे पहले ही उपन्यास को मिल रहें इस प्रोत्साहन से मैं बहुत रोमांचित और गदगद हूँ।

भट्ट ने अपने हिंदी-अंग्रेज़ी भाषा में दिए प्रश्नोत्तरों में कहा कि भारत में विशेष कर बालीवूड में प्रतिभाशाली अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की कोई कमी नहीं हैं। साथ ही भारत में बेहतरीन पटकथा लेखकों,उम्दा गीतकारों और उत्कृष्ट श्रेणी के संगीतकारों एवं गायकों का भी कोई अभाव नहीं है। इसलिए मुझे विश्वास है कि मेरे उपन्यास की कहानी पर सभी प्रकार की कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जब भी फ़िल्म बनाने की अवधारणा मूर्त रूप लेगी तब एक बेहद रोचक,रोमांचक और प्रेरणादायी फिल्म आकार लेगी और सभी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करेंगी।

अभिषेक के उपन्यास द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ पर वृत फिल्म, टीवी और वेब सीरीयल बनाने का प्रस्ताव

कौन है अभिषेक भट्ट?

अमरीका के न्यूजर्सी नगर में रहने वाले प्रवासी भारतीय अभिषेक भट्ट दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग के डूंगरपुर नगर के मूल निवासी और रिलायंस इण्डिया कंपनी के वाईस प्रेसिडेंट रहे हरिवल्लभ भट्ट और वीणा भट्ट के सुपुत्र है I  अभिषेक के परिवार की पुराने शहर डूंगरपुर की तंग गलियों से अमरीका पहुँचने की कहानी बहुत लम्बी है।अभिषेक वर्तमान में सीएनबीसी, न्यूयॉर्क में काम करते हैं। इससे पहले वे सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट और ओ. एंड एम में कार्यरत थे। भट्ट का करियर मुख्य रूप से फिल्म, टीवी और वेब श्रृंखला व्यवसाय के रचनात्मक और व्यावसायिक क्षेत्र में रहा है। “द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल” उनका पहला उपन्यास है I

अभिषेक के दादा पंडित इच्छानाथ भट्ट डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह के रियासत काल में राजपंडित थे और नाना बृजमोहन द्विवेदी राजस्थान के मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के कार्यकाल में जिला कांग्रेस अध्यक्ष, नगरपालिका अध्यक्ष और मशहूर एडवोकेट थे I उनके मामा कमलेश और लोकेश द्विवेदी विख्यात इवेंटस फ़ोटोग्राफ़र हैं।अभिषेक की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा गुजरात में हुई I कुछ वर्षों पूर्व वे नौकरी कि लिए अमरीका गए है I अभिषेक को पढ़ने-लिखने और अभिव्यक्ति की कला अपने परिवार की समृद्ध विरासत से मिली है ।

उपन्यास की कहानी

उपन्यास में लिखी गई कल्पित कथा का बहुत ही रोचक तरीके से वर्णन किया गया है जिसके अनुसार  भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर, रणकपुर के राजा महाराजा उदय सिंह (काल्पनिक नाम) अपने वारिसों को नए भारत में अपना समुचित स्थान बनाने के लिए आग्रह करते हैं, क्योंकि रियासत पर उनका 600 साल का शासन अब समाप्त होने जा रहा है। इस क्रम में उदय सिंह के मंझले बेटे अभिमन्यु (काल्पनिक नाम) क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम और जुनून को पूरी तरह आत्मसात करने के लिए मुंबई की ओर रवाना हो जाते है ।

युवा राजकुमार मुंबई महानगर में एक सामान्य व्यक्ति के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने की कोशिश करते है, इसी दौरान उसकी मुलाकात मीरा आप्टे नामक एक युवती से होती है, जोकि  फिल्म संगीत में स्थान पाने के लिए काम करने वाली मध्यम श्रेणी की एक संघर्षशील गायिका है। लेकिन उसके पास भारतीय शास्त्रीय संगीत की खूबियों के साथ-साथ एक स्वर कोकिला जैसी मधुर आवाज की पूँजी, विशेषता और प्रतिभा अंतर्निहित है।

जैसे-जैसे दौनों की दोस्ती आगे बढ़ती है वह गहरे प्यार में बदल जाती है। धीरे-धीरे अभिमन्यु, खुद को राजसी परम्पराओं,पारिवारिक कर्तव्यों और मीरा के प्रति बढ़ते लगाव और आकर्षण के बीच फंसा हुआ पाता है। अंत में, वे दोनों एक ऐसा विकल्प स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं ,जो उनके भाग्य को हमेशा के लिए बदल देने वाला है ।
सच्ची घटनाओं से प्रेरित होकर”द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल” उपन्यास में लिखी गई यह कहानी एक राजकुमार और एक सुर कोकिला गायिका के स्टार-क्रॉस प्रेम की एक दुखद कहानी है,जो एक नए स्वतंत्र राष्ट्र के निरंतर आगे बढ़ते समय और प्रगति की नई संस्कृति के खिलाफ एक बेजोड़ उदाहरण पेश करती है।

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