जयपुर। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी गई अधिसूचना से अब पड़ोसी देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 16 के अंतर्गत भारत की मोदी सरकार ने राजपत्र के जरिये यह अधिसूचना जारी की है कि, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी, इसाई इत्यादि अब भारत के निवासी हो सकेंगे।
इनसे आवेदन मांगे गए हैं। साथ ही गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे इन देशों से आए हिंदू, सिख, जैन और बौद्धों जैसे गैर मुस्लिमों से भी नागरिकता के लिए आवेदन मांगे गए हैं।
सीएए के तहत नियम अभी तक तैयार नहीं
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए इस आशय की एक अधिसूचना जारी की। हालांकि, सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को अभी तक तैयार नहीं किया है।
पंजीकरण के लिए ऑनलाइन होगा आवेदन
अधिसूचना में कहा गया, भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा। जिलाधिकारी या सचिव जरूरत पडऩे पर मामलों के हिसाब से आवेदन की जांच कराएंगे।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने बताया ऐतिहासिक फैसला
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आभार एवं अभिनंदन जताते हुये कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई धर्मावलंबियों की भारतीय नागरिकता को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि इस बार नये संशोधन में मोदी सरकार ने पाली, जालोर, सिरोही, उदयपुर और बाड़मेर के निवासियों को भी यह सहूलियत दी है, इससे राजस्थान के ऐसे नागरिकों को बड़ा लाभ मिलेगा और वे अपनी मातृभूमि में इज्जत व सम्मान के साथ रह सकेंगे। इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून में संशोधन करते हुये जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर के नागरिकों को पहले से ही यह सुविधा दी जा चुकी है।