मासूम के दुष्कर्मी हत्यारे को कोर्ट ने दी फांसी की सजा

फांसी

जयपुर। जिले की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नरेना थाना इलाके में 11 अगस्त 2021 को चार साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने वाले अभियुक्त सुरेश को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि अभियुक्त को सभ्य समाज में जीवित रहने का कोई हक नहीं है। उसने अपनी काम वासना मिटाने के लिए ना सिर्फ मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म जैसा घृणित कार्य किया, बल्कि बाद में उसकी हत्या भी कर दी। अभियुक्त के कृत्य से पीडित परिवार जीवन भर इस सदमे से बाहर नहीं निकल पाएगा। गौरतलब है कि अदालत ने गत पांच फरवरी को अभियुक्त को अपहरण, दुष्कर्म और हत्या सहित अन्य धाराओं में दोषी करार दिया था।

मामले के विशेष लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने बताया कि कोर्ट ने इस केस को गंभीर मानते हुए दैनिक सुनवाई की है। वहीं अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 41 गवाहों के बयान दर्ज कराए और केस से जुडे 139 दस्तावेज पेश किए गए। अभियोजन पक्ष की ओर से प्रकरण का दुर्लभतम बताते हुए कोर्ट से अभियुक्त को फांसी की सजा देने का आग्रह किया गया था। मामले के अनुसार परिवादी ने गत 12 अगस्त की सुबह रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी चार साल की बेटी बीती रात पडोस में गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। वहीं थोडी देर बाद पुलिस को सूचना मिली की एक बच्ची की लाश तलाई में तैर रही है। इस पर पुलिस ने बच्ची के शव की शिनाख्त कराई तो वह लापता हुई बच्ची का ही निकला। शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया कि हत्या पूर्व उसके साथ दुष्कर्म व अप्राकृतिक कृत्य भी किया गया था। इस पर पुलिस ने अलग-अलग टीम बनाकर अनुसंधान किया और 13 अगस्त को अभियुक्त को गिरफ्तार कर 25 अगस्त को उसके खिलाफ अदालत ने आरोप पत्र पेश कर दिया।

प्रकरण के खुलासे में एफएसएल की रही अहम भूमिका 

इस प्रकरण के खुलासे में एफएसएल की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रकरण में मृतका के स्कर्ट, वेजाईनल स्वाब, स्मीयर एवं एनल स्वाब, स्मीयर पर पाये गये मानव वीर्य के डीएनए का मिलान मुल्जिम के डीएनए से पाया गया तथा मुल्जिम के चड्डा व जले हुए कपडो की राख पर रक़्त की उपस्थिति पाई गई जिसका मिलान मृतका के डीएनए से पाया गया। उल्लेखनीय है कि प्रकरण में मृतका के शव को पानी से बरामद किया गया था जिससे मृतका के प्रादर्शों एवं मुल्जिम के राखनुमा जले एवं भीगे कपड़ों के अवशेष जिसे पानी से छानकर निकाला गया था से डीएनए निकालना अत्यंत जटिल कार्य था। जिसमें प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा विशिष्ट नवाचार परीक्षण प्रक्रिया अपनाते हुए एक अकाट्य वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में डीएनए परिक्षण रिपोर्ट दी गई। जिसके आधार पर कोर्ट द्वारा मुल्जिम को फांसी की सजा दी गई। उक्त प्रकरण में मृतका के डूबने से हुई मृत्यु के बारे में डायटम परीक्षण द्वारा मृत्यु का कारण बताया गया था।

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