जयपुर : भाजपा में ऐसी कोई परम्परा नहीं कि जो प्रदेश अध्यक्ष हो वह ही मुख्यमंत्री बने। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा में चल रही अंदरूनी राजनीति को नया ट्वीस्ट दे दिया। कटारिया आज भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।
उनसे भाजपा में चल रही अलग-अलग बयानबाजी के बारे में पूछा तो उसी के उत्तर में कटारिया ये भी कह गए कि प्रदेशाध्यक्ष कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होता। मुख्यमंत्री का निर्णय तो संसदीय बोर्ड करता है। भाजपा में परम्परा भले ही नहीं रही हो, लेकिन भाजपा की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे जब पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी तो वो ही प्रदेशाध्यक्ष थी। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष के रूप में ही परिवर्तन यात्रा निकाली थी। उसके बाद मुख्यमंत्री बनी थीं।
आपको बता दे कि भाजपा में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान के बीच हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वर्चुअल जुड़ी। कटारिया का बयान राजे खेमे को राहत देने वाला है, लेकिन जब तक पार्टी संगठन सीएम के चेहरे के रूप में किसी को घोषित नहीं करता तब तक सीएम की दौड़ में सभी दावेदार और समर्थक अपने-अपने खेमे की पैरवी करते सुर्खियों में बने रहेंगे।
हां! कटारिया का यह बयान वर्तमान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और उनके समर्थकों को निराश करने वाला जरूर है।