जयपुर। कांंग्रेस में अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। सत्ता और संगठन दोनों को लेकर ही कांग्रेसी कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं हैं। कुछ घटनाक्रम भी ऐसे हो रहे है जो आलाकमान को चिंता में डालने वाले हैं। सचिन पायलट खेमे की ओर से दस माह पूर्व किए वादे के अनुसार मांगे पूरी करने का दबाव पहले से अपनी जगह है। इस बीच निकायों व राशन दुकानों के आवंटन में स्थानीय कार्यकर्ताओं को खपाने की चल रही प्रक्रिया भी विवादों के घेरे में आ गई हैं। कांग्रेस में राज्यपाल की पुस्तक का विमोचन समारोह भी बड़ा विवाद बन गया है। इस विमोचन समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व विधानसभाध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी गए थे। कमलेश प्रजापत एनकाउंटर प्रकरण अलग सिरदर्द बना हुआ है।
इन सब मुद्दों को लेकर गहलोत व पायलट गुट में बढ़ी रार को शांत करने ही संभवत: राजस्थान के प्रभारी महामंत्री अजय माकन कल आ रहे हंै, हालांकि माकन के इस दौरे को 7 जुलाई से शुरू होने वाले महंगाई व पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर 10 दिवसीय आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा कहकर प्रचारित किया जा रहा है। चंूकि माकन जब जयपुर आएंगे तो अन्य मुद्दों पर भी चर्चा उठना स्वभाविक है।
सब कुछ ठीक तो नहीं
इन स्थितियों को भांपकर ही मुख्यमंत्री खेमे से चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा आज इन सब घटनाक्रमों पर सरकार का पक्ष रखने दिल्ली गए हैं। डॉ. रघु शर्मा ने आज जिस तरह से दिल्ली पहुंचते ही कांगे्रस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक, पवन बंसल के बाद प्रभारी महामंत्री अजय माकन से मुलाकात की हैं उसे देखते हुए यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि राजस्थान में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, क्योंकि रविवार को विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हेमाराम चौधरी का जो बयान आया है और उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि वे अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। यानी उनकी नाराजगी अभी बरकरार हैं। गहलोत खेमे से पिछले सप्ताह सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी भी माकन से मुलाकात करने दिल्ली जाकर आएं हैं।
पायलट इस बार कौनसा पासा फेकेंगे
पायलट गुट की राजस्थान के प्रभारी महामंत्री को लेकर क्या रणनीति रहती है उस पर सबकी नजर हैं। कांग्रेस में इन दिनों संकट का दौर केन्द्रीय स्तर पर पहले से ही चल रहा है। पंजाब का मसला अभी तक उलझा पड़ा है तो हरियाणा में भी हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग जोरशोर से उठी हैं।
आलाकमान की चिंता है कि हुड्डा व अमरेन्द्रसिंह कहीं तृणमूल कांग्रेस में न चले जाएं। क्षेत्रीय दल भी दोनो नेता बना सकते हैं, क्योंकि पंजाब व हरियाणा में उनकी ताकत से आलाकमान भी वाफिक हैं। राजस्थान में सचिन पायलट इन राज्यों से उठी आवाज को देखते हुए ही तो फिर से मुखर हुए है। पायलट खेमे के लोगों का कहना है कि हमारी डिमाण्ड तो दस माह पुरानी है उसका हल सबसे पहले निकलना चाहिए, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वेट एंड वॉच की रणनीति आपनाएं हुए हैं।
राजनीति के इस दंगल में संगठन दिख रहा है असहाय सा
राजस्थान में संगठन का जहां तक सवाल है वह नाममात्र का रह गया है, क्योंकि सरकार के प्रमुख नीतिगत निर्णयों में पूछा ही नहीं जा रहा उसके चलते ही वे अनभिज्ञता वाली बयानबाजी करते रहते हैं। राजनैतिक नियुक्तियों के मामले में उन्होंने कहा था कि भविष्य में ऐसी गड़बडिय़ा नहीं होगी। उसके अगले ही दिन हुई नियुक्तियों में भाजपा के पदाधिकारी तक नियुक्ति पा गए।
बताते हैं कि भरतपुर जिले में राशन की दुकानों के आवंटन की समिति में भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष को लेने से उठे विवाद को शांत करने के लिए प्रभारी महामंत्री अजय माकन ने भी इस नियुक्ति को रद्द करने को कहा हैं। हालांकि नियुक्ति रद्द करने के आदेश खबर लिखे जाने तक तो नहीं हुए।