पायलट ने बदली रणनीति, अब जमीनी कार्यकर्ताओं के तीर से करेंगे सियासी वार

जयपुर। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जमीनी कार्यकर्ताओं को साधेंगे और उन्हीं के तीर से सियासी वार कर सत्ता-संगठन में भागीदारी का दबाब बनाएंगे। पायलट अपनी बदली हुई नई कार्ययोजना के तहत प्रदेशभर का दौरा कर कोरोना से मृतकों के परिवारों को सांत्वना देने उनके घर जाएंगे। इस सांत्वना यात्रा से पूरे प्रदेश को नाप समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उन्हें सक्रिय करने का कार्यक्रम है। ताकि गिले शिकवों से भरे पड़े बैठे कार्यकर्ताओं को लगे भी की यह लड़ाई उनकी है। पायलट उन्हीं के लिए अपनी ही सरकार से लड़ रहे हैं। पहले उनका प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर मंहगाई, किसानों आदि से जुड़े मुद्दों पर बड़ी रैलियां करने का कार्यक्रम था, लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल की गाइड लाइन को देखते हुए प्लान में बदलाव किया गया हैं।

हो चुकी औपचारिक शुरुआत

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक रूप से इसकी औपचारिक शुरुआत भी कर दी हैं। विधायक जौहरीलाल मीणा के घर उनकी पत्नी के निधन पर सांत्वना देने ही गए थे। शहीद के परिवार के यहां जाते रास्ते में उन्होंने कठूमर में विधायक बाबूलाल बैरवा को भी साध लिया। इसी तरह बसपा से कांग्रेस में आए विधायक दीपचंद खैरिया के दप्तर जा पहुंचे। कहने को तो ये विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के माने जाते हैं, लेकिन सरकार में कामकाज नही होने से ये खफा बताये जाते हैं। पाायलट का जनसमस्याओं को लेकर सरकार पर दवाब व अफसरों की घेरेबंदी के इस प्लान के तहत दौरे की पहली प्राथमिकता गुर्जर मीणा बाहुल्य पूर्वी राजस्थान है। पूर्वी राजस्थान में पायलट का बोलबोला न केवल विधायकों की दृष्टि से है, बल्कि जमीनी रूप से भी हैं। वैसे वे पूरे राजस्थान में घूमेंगे।

गहलोत खेमे के विधायक भी जानते है पायलट की ताकत को

पूर्वी राजस्थान के विधायकों को ही देखे तो उनकी भी पहली जरूरत पायलट ही हैं चाहे अभी वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के साथ भले ही बने हुए हो। ढ़ाई साल बाद चुनाव होने हैं और पूर्वी राजस्थान के विधायक ये अच्छी तरह से जानते हैं कि पायलट की नाराजगी चुनावों में कितनी भारी पड़ सकती हैं। बामनवास की विधायक का ताजा बयान बताता है कि उन्हें अगले चुनाव में जीत के लिए सचिन पायलट ज्यादा मददगार साबित हो सकते हैं। बामनवास विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। कुछ ऐसे ही हालात दौसा जिले से एक मंत्री की विधानसभा का हैं। ये मंत्री पायलट से दूरी बनाए रखने के बावजूद स्व.राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करना नहीं भूले।

इसलिए चुना ये नया मार्ग

पायलट को पता हैं कि विधायकों की संख्याबल के लिहाज से गहलोत भारी पड़ते हैं, इसलिए विधायकों को साधने के साथ उन्होंने नया मार्ग चुना है। आने वाले दिनों में पायलट लाव लश्कर के साथ धुआंधार दौरे करते दिखेंगे। वे अब जनाधार वाले नेता की छवि के बलबूते पर प्रेशर पोलिटिक्स करेंगे। सोशल मीडिया पर हाल में पायलट को लेकर चलाया गया कैंपेन भी कार्यकर्ताओ को सक्रिय करने के मकसद से था, ताकि जमीनी लड़ाई में मजबूती मिले। उनके राजस्थान भर के दौरों में इसका जलवा दिखाई दे।

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