जयपुर: पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद अब राजस्थान में भी सियासत तेज हो गयी है। पंजाब में हुए बदलाव ने अब राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विरोधी खेमे को मुखर होकर आवाज उठाने का मौका दे दिया है। इसका असर राजस्थान में दिखाई भी देने लगा है। पायलट खेमे के नेता दबी जुबान में मुख्यमंत्री बदलने की मांग करते रहे हैं, लेकिन आचार्य प्रमोद खुलकर पायलट की पैरवी कर रहे हैं।आचार्य प्रमोद प्रियंका गांधी के नजदीकी माने जाते है कल्कि पीठाधीश आचार्य प्रमोद कृष्णम यूपी कांग्रेस के नेता ने पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी सीधे मुख्यमंत्री बदलने की मांग की है। इससे राजनीतिक गलयारो में सरगर्मिया तेज हो गयी है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा- मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं की बात कर रहा हूं। राजस्थान में भी कार्यकर्ताओं ने सचिन पायलट के नेतृत्व का आश्वासन मान कर काम किया। आज तक पायलट ने हाईकमान के हर निर्देश का पालन किया है,लेकिन पायलट के साथ नाइंसाफी हुई है । इससे पहले प्रमोद कृष्णम ने सचिन पायलट के जन्मदिन पर भी 7 सितंबर को ट्वीट कर इशारों में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी। उस समय लिखा था परिवर्तन की बयार है, उपहार तैयार है, शुभ घड़ी का इंतजार है।
गहलोतजी को अपने बयान का मान रखना चाहिए
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि सचिन पायलट ने राहुल गांधी से तीन घंटे मुलाकात की है, यह बहुत कुछ कहती है। पूरे देश में बदलाव की बयार है, यह रुकनी नहीं चाहिए और रुकेगी भी नहीं। परिवर्तन संसार का नियम है, न कोई हमेशा सीएम बना रह सकता है न ही पीएम। लोग आते जाते रहते हैं। बीजेपी जब पांच-पांच मुख्यमंत्री बदल सकती है तो कांग्रेस क्यों नहीं? अशोक गहलोत बहुत सम्मानित नेता हैं। उन्होंने खुद कहा था कि नए लोग आगे आएं, गहलोत जी को अब अपने बयान का मान रखना चाहिए।
पायलट को छोड़ सभी प्रदेशाध्यक्षों को मुख्यमंत्री बनाया
प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राजस्थान में 2018 का विधानसभा चुनाव हुआ था तो सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष थे। अशोक गहलोत भी उस वक्त पार्टी में बड़े और जिम्मेदार ओहदे पर थे। वे वरिष्ठ नेता हैं, आज मुख्यमंत्री हैं, अशोक जी की कार्यप्रणाली में कहां गुरेज है? 2018 में पायलट राजस्थान कांग्रेस के तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल प्रदेशाध्यक्ष थे, पंजाब चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर प्रदेशाध्यक्ष थे। सचिन पायलट को छोड़कर सारे राज्यों में उस समय के प्रदेशाध्यक्षों को मुख्यमंत्री बनाया। राजस्थान में सचिन पायलट का हक था।
पंजाब के बाद अब राजस्थान में भी खेमेबंदी तेज होने के आसार हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमा राजस्थान के सियासी हालात को अलग बताकर किसी भी तरह के बदलाव को सिरे से नकार रहा है,लेकिन सचिन पायलट समर्थक नेता बदलाव की पैरवी कर रहे हैं।