कोरोना और ब्लेक फंगस में नाक के नथुनो में बीटाडीन गार्गल लगाना अचूक इलाज

बीटाडीन गार्गल
पेसिफ़िक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. के. आर. शर्मा का दावा

@DeepakSharma

उदयपुर: पेसिफ़िक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. के आर शर्मा ने कोरोना एवं ब्लैक फ़ंगस से बचाव में बीटाडीन के प्रयोग को अचूक इलाज बताया।

डॉ. शर्मा ने बताया कि नवीनतम रिसर्च के अनुसार अब तक कोरोना के तकरीबन मिलियन म्युटेंट पाये गये है जिससे जन सामान्य में भय और असमंजस की स्थिति बन रही है । समझ में नहीं आ रहा कि किस म्युटेंट में कौन सी दवाई कारगर रहेगी, नये नये म्युटेंट की स्थिति में क्या उपलब्ध वेक्सीन प्रभावी हो पायेंगी ? इस सम्बंध में चिकित्सक भी एकमत नहीं है । उपर से कोढ में खाज की स्थिति वाला ब्लेक फंगस भी लोगों का काल बन रहा है ।

डॉ. शर्मा के अनुसार रिसर्चर और चिकित्सको के अनुसार कोरोना वायरस हो या ब्लेक फंगस, शुरुआत नाक से ही करते है इसमें कोई दो राय नहीं है । कोरोना वायरस नाक से हो कर फेफडों की तरफ बढता है जबकि ब्लेक फंगस नाक के रास्ते साइनस से होता हुआ मस्तिष्क की तरफ बढता है ।

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बीटाडीन के प्रयोग पर जोर

कोरोना के साथ साथ ब्लेक फंगस से भी बचाव हेतु डॉ. शर्मा ने बीटाडीन के प्रयोग पर जोर दिया । डॉ. शर्मा ने बताया कि बीटाडीन का दिन में दो से तीन बार नियमित तौर पर नाक में लेपन व गरारे करने से, कोरोना का चाहे कोई सा भी वेरियंट हो, नाक में ही समाप्त हो जाता है साथ ही ब्लेक फंगस भी समाप्त हो जाता है और संक्रमण से बचाव करता है ।

डॉ. शर्मा ने बताया कि लगभग तीन सौ – चार सौ लोगों ने पुष्टि की है कि उनकी राय के अनुरूप बीटाडीन का प्रयोग करने एवं नियमित भाप का सेवन करने से संक्रमित व्यक्तियोँ के प्रत्यक्ष संम्पर्क होने, संक्रमित क्षेत्र में लगातार रहने, कभी कभार मानव स्वभावगत लापरवाही से मास्क के अव्यवस्थित हो जाने अथवा खाने पीने के लिये मास्क हटाये जाने के उपरांत भी स्वयं का संभावित संक्रमण से बचाव कर सके । स्वयं की सुरक्षा ही सबकी सुरक्षा है ।

 

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