खनिज खोज खनन में इंटरनेशनल तकनीक का हो उपयोग, पर्यावरण संतुलन और न्यूनतम वेस्टेज का रखे ध्यान-ACS अग्रवाल

खनिज खोज खनन में इंटरनेशनल तकनीक का हो उपयोग, पर्यावरण संतुलन और न्यूनतम वेस्टेज का रखे ध्यान-ACS अग्रवाल

जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम व एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने भूविज्ञानियों से व्यावसायिक सोच अपनाते हुए खनिजों के खोज कार्य में देश दुनिया की आधुनिकतम तकनीक को अपनाने की आवश्यकता प्रतिपादित की हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में 57 प्रकार के खनिजों की खोज और खनन का कार्य किया जा रहा है। लेड, जिंक, सिल्वर, जिप्सम, सोपस्टोन, रॉक फास्फेट, कॉपर व बोलोस्टाइन जैसे खनिजों में प्रदेश का लगभग एकाधिकार है तो लिग्नाईट, क्रूड ऑयल, गैस, यूनिक डेकोरेटिव स्टोन्स यथा मार्बल, ग्रेनाइट आदि के भी विपुल भण्डार है।

एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल मंगलवार को स्टेट जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की 56 वीं सालाना बैठक को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होेंने विदेशों में खनिज खोज की नई तकनीक की चर्चा करते हुए कहा कि हमें खनिज खोज व खनन की ऐसी तकनीक अपनानी होगी जिससे पर्यावरण संतुलन भी बना रहे व प्राकृतिक संपदा के दोहन में नुकसान (वेस्टेज) का न्यूनतम स्तर रहे। इसके लिए इस क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्लेयर्स व निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए आगे आना होगा।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पिछले एक साल में प्रदेश में खनिज खोज व खनन कार्य में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की गई है। हमारे दो खनिज ब्लॉकोें को रिजर्व प्राइज से रेकार्ड 192 प्रतिशत से भी अधिक पर ऑक्शन होना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में पारदर्शी व वैज्ञानिक तरीके से खनि ब्लॉकों की नीलामी हो रही है। प्रदेश में 1299 माइनर मिनरल व 6 लाइमस्टोन ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। खनिज क्षेत्र में करीब 31 हजार छोटी बड़ी माइंस से 25 से 30 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल रहा हैं वहीं राजस्व प्राप्ति का भी नया रेकार्ड बनाया जा रहा है।

जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के उपमहानिदेशक डॉ. संजय दास और निदेशक तकनीकी व समन्वय डॉ. एसके कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जीएसआई द्वारा राज्य सरकार के सहयोग से वर्ष 2021-22 में 47 खनिज खोज परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। राज्य में खनिज खोज की विपुल संभावनाएं हैं और राज्य सरकार के साथ बेहतर तालमेल और समन्वय से खोज कार्य को गति दी जा रही है।

निदेशक माइंस कुंज बिहारी पण्ड्या ने बताया कि राज्य में वर्ष 2021-22 में सात एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के तहत 46 परियोजनाओं पर कार्य जारी है। इनमें बेसमेटल की 3, लाइमस्टोन की 12, लिग्लनाईट की एक, औद्योगिक खनिज की 4, डायमेंशनल और डेकोरेटिव स्टोन की 4, स्ट्रेटेजिक मिनरल के एक और जनरल एक्सप्लोरेशन की 21 परियोजनाएं है।उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा नागौर, जैसलमेर, उदयपुर, कोटा और बांसवाड़ा में करीब 1800 मीटर ड्रिलिंग कर खोज जारी है।उन्होंने बताया कि बोर्ड की सालाना बैठक में वर्तमान में चल रहे एक्सप्लोरेशन कार्यों की प्रगति, परिणाम के साथ ही आगामी साल के एक्सप्लोरेशन रणनीति तैयार की जाती है।

आरंभ में अतिरिक्त निदेशक जियोलोजी एनपी सिंह ने बताया कि स्टेट जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की 1967 से प्रतिवर्ष सालाना बैठक आयोजित की जाती है। उन्होंने बताया कि बोर्ड की बैठक में केन्द्र व राज्य की एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल, परस्पर सहयोग व समन्वय, खोज व खनन कार्य को गति देने और एक दूसरे के अनुभवों को साझा करने के लिए आयोजित की जाती है।

बैठक में इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस के रीजनल कंट्रोलर जीके जांगीड, ओएनजीसी जोधपुर के महाप्रबंधक प्रमोद त्रिपाठी, हिन्दुस्तान कॉपर के वरिष्ठ प्रबंधक नरेन्द गोस्वामी, हिन्दुस्तान जिंक के महाप्रबंधक जियोलोजी कुलदीप सोलंकी आदि ने भी विचार व्यक्त किए। खान एवं भू विज्ञान विभाग के अधीक्षण भूविज्ञानी एसके मिण्डा ने आभार व्यक्त किया। बैठक में अतिरिक्त निदेशक पेट्रोलियम अजय शर्मा, अधीक्षण भूविज्ञानी आलोक जैन, अधीक्षण भूविज्ञानी संजय दुबे, एसजी सुनील वर्मा सहित विभाग के भूविज्ञानियों व केन्द्र व राज्य सरकार की संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

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