जयपुर। बॉलीवुड में राजस्थान का नाम रोशन करने वाले मशहूर कव्वाल जोड़ी साबरी बंधुओं के सरपरस्त उस्ताद सईद साबरी का रविवार सुबह कार्डियक अटेक से निधन हो गया। वो 85 वर्ष के थे। उनके साथ उनके बटे फरीद और अमीन साबरी उनके जोड़ीदार के रूप में गाया करते थे, लेकिन तीन गायकों की इस सुरीली माला का एक और मनका बिखर गया। अभी अप्रेल में ही सईद साबरी के बड़े बेटे उस्ताद फरीद साबरी का भी कार्डियक अटेक से ही निधन हुआ था। सईद साबरी के जाने से कव्वाली जगत को गहरा आघात लगा है।
साबरी बंधुओं में अकेले रह गए उस्ताद अमीन साबरी का कहना है कि मेरे बड़े भाई फरीद साबरी के बाद पिता सईद साहेब भी इतनी जल्दी हमारा साथ छोड़कर चले जाएंगे ये कभी सोचा भी नहीं था। हम दोनों भाई हमारे वालिद उस्ताद सईद साबरी की देखरेख में संगीत की दिल जान से सेवा करते आए हैं जिसने जो दिया ले लिया, नहीं दिया तो किसी से कभी शिकवा नहीं किया। हमारा कव्वाली का मंच एकदम सूना हो गया जिसकी भरपाई इस जनम में तो होना नामुमकिन है। बता दें कि साबरी बंधुओं की इस अजीम जोड़ी ने दस फिल्मों में दर्जनों कव्वालियां गाकर और देश दुनिया के अनगिनत मंचों पर कार्यक्रमों के जरिए सूफियाना कव्वाली की परंपरा को परवान चढ़ाया था।
लता मंगेशकर के साथ गाया था गाना
साबरी बंधुओं की प्रतिभा सबसे पहले स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ गाई कव्वाली ‘देर ना हो जाए कहीं देर ना हो जाए’ के जरिए सामने आई। उन्होंने सुभाष घई की 1997 में आई फिल्म ‘परदेस और उसके बाद बोनी कपूर की 1999 में ‘सिर्फ तुम’ की कव्वाली ‘जिंदा रहने के लिए तेरी कसम, इक मुलाकात जरूरी है सनम के जरिए सूफियाना कव्वाली के क्षेत्र में काफी शोहरत हासिल की।