चूरू / जयपुर। चूरू की अस्मिता और आज़ादी के प्रतीक लाल घंटाघर के नाम से ख्यात धर्म स्तूप को पिछले सप्ताह आयी आंधी और तूफान ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। क्षेत्रीय पार्षद राज कुमार सारस्वत ने बताया की पिछले सप्ताह आंधी और तूफान से धर्म स्तूप के आठ में से छह पिलर और छज्जे तथा गुमटियां क्षतिग्रस्त हो गई। सारस्वत ने आरोप लगाया की इस घटना के एक सप्ताह बाद भी शासन प्रशासन और नगर परिषद् ने इसकी सुध बुध नहीं ली है जिससे टूटे गए ऐतिहासिक पिलर और छज्जे लावारिश पड़े है। यहाँ लगाए गए होर्डिंग, बैनर और पोस्टर आदि से भी यह ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल पहले से ही बदरंग पड़ा है।
चूरू निवासी प्रमुख पत्रकार और लेखक बाल मुकुंद ओझा ने बताया की चूरू के स्टेशन रोड स्थित मुख्य मार्ग पर इंद्रमणि पार्क के सामने स्थापित इस ऐतिहासिक धर्म स्तूप का निर्माण स्वामी गोपाल दास के प्रयासों से 1925 में शुरू हुआ था। आज़ादी के 17 साल पूर्व यानि 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता सेनानी चंदनमल बहड़, भालचंद शर्मा और महंत गणपतदास आदि ने धर्म स्तूप पर तिरंगा फहराया था। अंग्रेजों के राज में तिरंगा फहराने के बाद बहड़ और उनके साथियों को काफी यातनाएं भी झेलनी पड़ीं थीं। इस घटना से बीकानेर रियासत में हडकंप मच गया था । चूरू के धर्म स्तूप को लाल घंटाघर भी कहा जाता है। इसका निर्माण पिलानी के बिड़ला परिवार ने कराया था। धर्म स्तूप पर महापुरुषों की कही गई बातें लिखी गईं हैं। इसका निर्माण लाल पथरों से किया गया था। स्तूप के अंदर भगवान श्री कृष्ण, महावीर, गुरु नानक, महात्मा बुद्ध जगदम्बा और शंकराचार्य की मूर्तिया स्थापित है।