राजस्थानी राजनीति के दिग्गजों में से एक बजरंग लाल शर्मा ने लंबी बीमारी के बाद 87 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बजरंग लाल शर्मा दशकों तक राजनीति से बाहर रहे लेकिन कभी नहीं भूले। एक बार मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार, जनता पार्टी के दौर में शर्मा फायरब्रांड युवा विधायक थे। जीवन के अंतिम पड़ाव में भी वे राजस्थान उच्च न्यायालय में बतौर सीनियर ऐडवोकेट पूरी ऊर्जा के साथ ऐक्टिव थे।
बजरंग लाल शर्मा की पुत्री देवोपमा शर्मा ने उनका दाह संस्कार कर उनको अन्तिम विदाई दी। इस दौरान शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। शर्मा के निधन पर विभिन्न सामाजिक संगठनों कांग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने शोक व्यक्त कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
बजरंग लाल शर्मा की राजनीति में अच्छी पकड़ थी और उन्होंने मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर के करीबी संघ में काम किया, जो सभी देश के प्रधान मंत्री बन गए। वह सक्रिय राजनीति से दूर रहे लेकिन गिरिजा व्यास से लेकर जनरल वीके सिंह तक सभी चुनाव के समय या अन्य समय पर अपने आवास पर देखे जा सकते हैं।
राजस्थान की राजनीति में उनका एक महत्वपूर्ण स्थान था। वे सन 1977 वे बनी पार्क क्षेत्र से विधायक रहे थे। हाल ही में आए गुरु पूर्णिमा पर कई वकीलों और जजों ने उनसे फ़ोन पर आशीर्वाद लिया। उनकी बातों में शब्द कम वजन ज़्यादा होता था। कार्य के प्रति उनकी निष्ठा इतनी मज़बूत थी की उम्र से सम्बंधित बीमारियाँ कभी बाधा नहीं बन पायी।