कोविड-19 है या नहीं सिर्फ गरारा करके ही पता चल जाएगा

नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के बीच देश में रोजाना लाखों की संख्या में कोविड जांच हो रही हैं। पिछले एक साल में कई बार कोरोना जांच के रिकॉर्ड्स बने हैं। हालांकि, लोगों का ज्यादा भरोसा आरटी-पीसीआर जांच पर होता है, लेकिन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने एक ऐसी तकनीक बनाई है, जिसकी मदद से सिर्फ तीन घंटे में ही पता चल सकेगा कि आपको कोरोना है या फिर नहीं। इसमें गरारा करके कोरोना के बारे में पता लगाया जा सकेगा। ICMR ने भी इस तकनीक को अप्रूवल दे दिया है।

रिमार्कबल इनोवेशन दिया करार

इस टेस्ट में स्वैब का कलेक्शन लेना जरूरी नहीं होगा। इसमें एक ट्यूब होगी, जिसमें सलाइन होगा। लोगों को कोरोना की जांच के लिए इस सलाइन को मुंह में डालने और फिर 15 सेकंड तक गरारा करने की जरूरत होगी। जब शख्स गरारा कर लेगा फिर उसे ट्यूब में थूकना होगा और टेस्टिंग के लिए दे देना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस तकनीक को रिमार्कबल इनोवेशन करार दिया है। उन्होंने कहा, यह स्वैब फ्री तकनीक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

नीरी के पर्यावरण वायरोलॉजी सेल के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. कृष्णा खैरनार ने बताया, सैंपल कलेक्शन को आसान और पेशेंट फ्रेंडली बनाने के लिए नीरी ने सोचा था। कम से कम पेशेंट को तकलीफ पहुंचा कर कलेक्शन ले सकते हैं। सलाइन को पीना पड़ता है और फिर गरारा करना पड़ता है।

तीन घंटे में हम आरटी-पीसीआर वाली रिपोर्ट दे सकते हैं। हमें अभी ICMR की मंजूरी मिल गई है और बाकी लैब्स को ट्रेनिंग देने के लिए हमसे कहा गया है। नीरी में आज पहला बैच आया है, जिसकी टेस्टिंग बाकी है। उन्होंने आगे बताया कि लोग खुद से भी यह टेस्टिंग कर सकेंगे, जिससे टेस्टिंग सेंटर पर भीड़ नहीं लगेगी और इससे काफी समय भी बचेगा। साथ ही सेंटर पर दूसरों से संक्रमित होने का खतरा भी नहीं होगा।

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