आईएएस अधिकारी “स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया”

आईएएस अधिकारियों को 'स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया' alpan bandhopdhyay

नई दिल्ली: केंद्र सरकार और आईएएस अधिकारियों के बीच का माहौल कुछ तनातनी भरा चल रहा है। अधिकारी जैसा कुछ बता रहे हैं, वह मौजूदा परिस्थितियों को ‘भय’ की तरफ ले जाता है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय और पीएमओ के बीच शुरू हुए विवाद को केंद्र सरकार भुला नहीं पा रही है।

तभी तो केंद्र आईएएस अधिकारियों को सरदार पटेल द्वारा कही गई पंक्तियां याद दिला रही हैं। आजादी से चार माह पहले यानी 21 अप्रैल 1947 को दिल्ली के मेट्कॉफ हाउस में पटेल ने आईएएस अधिकारियों को ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ कहा था। उन्होंने केवल युवा अधिकारियों को प्रेरित करने के लिए इस वाक्य का प्रयोग नहीं किया था, बल्कि इसके पीछे कई दूसरे अर्थ भी रहे हैं।

भारत एक बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है जहां अनेक राज्यों के शासकों के अपने हित और अहंकार होंगे। दूसरी तरफ केंद्र ने रिटायर्ड अधिकारियों को चेतावनी दे डाली है कि उन्होंने कुछ ऐसा वैसा लिखा तो पेंशन रोक ली जाएगी। अलपन बंदोपाध्याय को नोटिस जारी हो चुका है और दिल्ली के मुख्य सचिव को लेकर भी केंद्रीय गृह मंत्रालय खफा है।

केंद्र ने अधिकारियों तक संदेश भिजवा दिया है

अलपन बंदोपाध्याय का मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार, आईएएस अधिकारियों की भूमिका को लेकर बहुत कुछ सोच रही है। सूत्र से पता चला है कि पीएमओ और डीओपीटी में फाइलें पलटी जा रही हैं। जल्द ही नए नियम और बदलावों का खाका सामने आ सकता है। जाहिर सी बात है कि उसमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के ‘पर’ काटने जैसा ही कुछ होगा। इस बार केंद्र पीछे हटने के भाव में नहीं है।

इस बात से झलक पड़ा केंद्र का दर्द

केंद्र ने सरदार पटेल का हवाला देते हुए कई दूसरी बातें भी कही हैं। जैसे पटेल ने कहा था, ऐसी संवेदनशीलताओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए, भारतीय संघीय ढांचे में आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इस सेवा का निर्माण इस तरह से किया गया है कि इन अधिकारियों से, राज्य और राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में किसी विषय पर अधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की उम्मीद की जाती है।

इस बात से केंद्र का वह दर्द झलकता है जो उसे अलपन बंदोपाध्याय के मामले में झेलना पड़ा है। प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय का न आना केंद्र को बहुत ज्यादा दुखी कर रहा है। पीएम को एक अधिकारी के आने का इंतजार करना पड़ा। वह अधिकारी बिना कोई प्रस्तुतिकरण दिए, बैठक छोड़कर चला जाता है। बता दें कि पीएम वहां तूफान से हुए जान माल के नुकसान का पता लगाने आए थे।

ये भारत है, यहां तीन स्तरीय ढांचा है। केंद्र, राज्य और पंचायती राज। वहां भी अगर कोई डीएम, जिला परिषद हेड या पंचायत मुख्य सचिव के साथ समन्वय करने से मना कर दे तो क्या होगा। अलपन बंदोपाध्याय द्वारा किया अशोभनीय व्यवहार आईएएस पर एक दाग की तरह है। ये वही सेवा है, जिसके बारे में सरदार पटेल ने ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था।

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