नई दिल्ली: मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली संसद भवन में एक सर्वदलीय बैठक में कई दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए और मणिपुर में कानून-व्यवस्था की वापसी के लिए मंथन की। बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रॉयन, CPI(M) के सांसद जॉन ब्रिटास, राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा, मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह, लोजपा नेता पशुपति पारस, मेघालय के सीएम कोर्नाड संगमा सहित कई अन्य नेता शामिल हैं। बैठक में इस बात चर्चा हुई कि मणिपुर में जारी हिंसा को कैसे समाप्त किया जाए।
वहीं डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि 100 लोग मारे गए हैं और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए और सबसे दुखद यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर एक शब्द तक नहीं कहा। वहां की स्थिति का अच्छे से पता लगाने के लिए एक सर्वदलीय दल को मणिपुर भेजना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने मांग की है कि एक हफ्ते में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजा जाए। केंद्र सरकार ने अब तक इस मामले की अनदेखी की है। अगर वहां शांति और सद्भाव बहाल करना है तो इस मामले पर ध्यान देना होगा। वही सपा ने बैठक में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
मणिपुर पर हुई सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 2001 में जून के महीने में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब मणिपुर जल रहा था। उसके बाद मणिपुर अमन, शांति और विकास के रास्ते पर लौट आया उसका प्रमुख कारण था इबोबी सिंह(मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री) ने 15 साल वहां स्थिर सरकार दी। सर्वदलीय बैठक इंफाल में होती जिससे एक संदेश जाता कि मणिपुर की पीड़ा देश की पीड़ा है। वहां अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप हैं जिनके पास हथियार हैं। हमारी मांग है कि बिना किसी भेदभाव के सारे मिलिटेंट ग्रुप से हथियार वापस लिए जाएं।